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नेपाल बना समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाला दक्षिण एशिया का पहला देश

by Rakesh Pandey
नेपाल बना समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाला
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सोसाइटी : नेपाल समलैंगिक शादी को पंजीकृत करने वाला दक्षिण एशिया का पहला देश बन गया है। सेम सेक्स रिलेशन यानी समलैंगिक संबंधों को लेकर एशिया के देशों में अब भी बहुत हिचकिचाहट है। ज्यादातर देश इसके समर्थक नहीं हैं, लेकिन नेपाल ने दक्षिण एशिया की पहली रजिस्टर्ड शादी कराकर इतिहास रच दिया है। ब्लू डायमंड सोसाइटी नामक संस्था के अध्यक्ष संजीब गुरुंग (पिंकी) के अनुसार, 35 साल के ट्रांसजेंडर माया गुरुंग और 27 साल के समलैंगिक सुरेंद्र पांडे ने कानूनी तौर पर शादी की है। उनकी शादी को पश्चिमी नेपाल के लामजंग जिले के डोरडी ग्रामीण नगरपालिका में पंजीकृत किया गया है।

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में दी थी समलैंगिक विवाह की अनुमति

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में समलैंगिक विवाह की अनुमति देकर पहले ही मंच तैयार कर दिया था, जिसने हाल के अभूतपूर्व विकास की नींव रखी। 27 जून, 2023 तक तेजी से आगे बढ़े, जब सुप्रीम कोर्ट ने एक रिट याचिका के जवाब में एक अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें अस्थायी रूप से समलैंगिक विवाह को वैध बनाया गया। इस अंतरिम आदेश ने नेपाल में एलजीबीटीक्यू समुदाय के अधिकारों की आधिकारिक मान्यता की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग लगाई।

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने पांच महीने पहले ही समलैंगिक शादी को वैध करार दे दिया था। ब्लू डायमंड सोसाइटी संस्था नेपाल में ट्रांसजेंडरों के अधिकारों और कल्याण के लिए काम करती है। ब्लू डायमंड सोसाइटी के अध्यक्ष संजीब गुरुंग (पिंकी) के अनुसार, नेपाल ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में यह पहला मामला है और हम इस फैसले का स्वागत करते हैं।

9 साल से रिलेशनशिप में हैं गुरुंग और पांडे
जिस जोड़े ने शादी की है, उनमें एक का नाम राम बहादुर माया गुरुंग और दूसरे का सुरेंद्र पांडे है। दोनों की शादी पश्चिम नेपाल के लुमजुंग जिले में डौरडी गांव में हुई। नेपाल के प्रगतिशील और समलैंगिक शादियों के लिए मुखर लोगों ने इस शादी का स्वागत किया है। यह जोड़ा 9 साल से रिलेशनशिप में था और इन्होंने साल 2016 ही में हिंदू रीति-रिवाजों से शादी कर ली थी। तब उन्होंने राजधानी काठमांडू में विवाह किया था, लेकिन उसको मान्यता नहीं थी। अब शादी के पंजीकृत हो जाने के बाद यह लीगल मैरिज माना जाएगा।

शादी करने वाला यह समलैंगिक जोड़ा अब जॉइंट अकाउंट खोल सकेगा। साथ ही और दूसरे जोड़ों की तरह अपनी संपत्ति एक-दूसरे को ट्रांसफर कर सकते हैं। नेपाल की सुप्रीम कोर्ट को समलैंगिक शादियों से जुड़े इस मामले पर अभी वैसे तो अंतिम आदेश देना है, लेकिन इंटरिम ऑर्डर से ही इसके हिमायती बहुत ज्यादा खुश हैं।

इस समुदाय के अन्य लोग अब कर सकेंगे शादी: पिंकी
पिंकी ने बताया कि इसके बारे में जानकर बहुत खुशी हुई, यह नेपाल के तृतीय लिंग समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह न केवल नेपाल में, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में पहला मामला है और हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। पिंकी ने कहा कि ऐसे कई तृतीय-लिंगी जोड़े हैं, जो अपनी पहचान और अधिकारों के बिना रह रहे हैं और इससे उन्हें बहुत मदद मिलेगी। अब इस समुदाय के अन्य लोगों के लिए अपनी शादी को वैध बनाने का दरवाजा खुल गया है।

भारत में समलैंगिक विवाह के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को वैध बनाने की याचिकाओं को खारिज करते हुए अपना बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया है और इस मुद्दे की गहन जांच के लिए विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के प्रावधानों पर गहराई से विचार करते हुए अपना निर्णय दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को संवैधानिक वैधता की अनुमति देने के खिलाफ 3:2 से मतदान किया।

मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि न्यायालय न तो विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) 1954 को अमान्य करार दे सकता है और न ही समलैंगिक सदस्यों को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के दायरे में शामिल करने का प्रावधान जोड़ सकता है। इस पर कानून बनाना संसद और राज्य विधानमंडल का दायित्व है। संविधान पीठ के न्यायाधीश इस बात पर भी सहमत थे कि संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों में विवाह का अधिकार का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय कहा कि वैवाहिक संबंध स्थायी नहीं होते है। सर्वोच्च न्यायालय का मानना है कि समलैंगिक व्यक्तियों को “संघ” में प्रवेश करने का समान अधिकार और स्वतंत्रता है।

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