फिल्म | सीटीआरएल (कंट्रोल शब्द का संक्षेपाक्षर) |
प्रमुख स्टारकास्ट | अनन्या पांडे और विहान समत |
डायरेक्टर | विक्रमादित्य मोटवानी |
रिलीज डेट | 4 अक्टूबर 2024 |
कहां देखें | नेटफ्लिक्स |
अवधि | 99 मिनट |
रेटिंग्स | 3.5 स्टार |
कहानी: ये कहानी नैला अवस्थी (अनन्या पांडे) और जो (विहान समत) की है । नैला और जो, कॉलेज के दिनों से ही दोस्त होते हैं और फिर दोस्ती प्यार में बदल जाती है। दोनों एक सोशल मीडिया चैनल शुरू करते हैं और फिर इंफ्लुएसर तक सफर पहुंच जाता है। इनकी जोड़ी फैन्स को पसंद होती है और ये ब्रान्ड्स प्रमोट करके पैसे भी कमाते हैं। एक दिन नैला, जो को सरप्राइज देने जाती है लेकिन उसे किसी और लड़की के साथ चीट करते हुए पकड़ लेती है। सोशल मीडिया पर काफी थू-थू होती है। कहानी आगे बढ़ती है और नैला को एक AI दोस्त एलन मिलता है। नैला, एलन के साथ हर बात शेयर करती है और धीरे-धीरे उसकी बात भी मानने लगती है। जो और नैला के ब्रेकअप के कुछ दिनों के बाद जो की मौत हो जाती है। जो एक बड़ा ट्विस्ट है। कैसे मौत होती है, कैसे सोशल मीडिया का असर जिंदगी पर पड़ रहा है और क्या होता है अंत? इन सबके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
एक्टिंग और डायरेक्शन: बात एक्टिंग की करें तो अनन्या का काम इस बार अच्छा है। अमेजन प्राइम की ‘कॉल मी बे’ की तरह की ही इस बार भी किरदार अनन्या की जिंदगी से मिलता जुलता सा लगता है। ऐसे में वो इसके साथ इंसाफ करती दिखी हैं। अनन्या ने उस ही तरह से चीजों पर रिएक्ट किया है, जैसे अमूमन हम किसी सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर या फिर युवा शख्स को समस्याओं और खुशियों के साथ करते देखते हैं। अनन्या के अलावा विहान का भी काम अच्छा है। वो भी कैरेक्टर की सतह से काफी जुड़े दिखे हैं। इन दोनों के अलावा बाकी एक्टर्स जैसे देविका, कामाक्षी आदि का भी काम ठीक है। वहीं कुछ कैमियोज भी हैं जो सही लगते हैं।
क्या कुछ है खास और कहां खाई मात: फिल्म में एडिटिंग काफी अच्छी है, जिसका एक बड़ा श्रेय कैमरा टीम को भी जाता है। जिस तरह से फिल्म को शूट करके एडिट किया गया है। यानी चीजों को कंप्यूटर की नजर से दिखाता। वो अच्छा है. लेकिन ऐसा नहीं है कि ये कुछ बहुत नया है। हॉलीवुड की कई फिल्मों में काफी पहले ही इस तरह का एडिट देखा जा चुका है। लेकिन हिंदी सिनेमा के लिए थोड़ा नया सा है। ऐसे में बतौर दर्शक ये कुछ देर आपको खटकेगा भी और अगर आप सोशल मीडिया और टेक फ्रेंडली नहीं हो तो कई चीजें आपको समझ भी नहीं आएंगी। यानी फिल्म का प्रेजेंटेशन थोड़ा अलग और आसान हो सकता था, जिससे ऐसा शख्स भी इसे समझ पाए जो डिजिटल दुनिया से थोड़ा दूर रहता है। बाकी डायरेक्शन औसत है। बातचीत में जबरदस्ती का ‘जेन जी’ तड़का नहीं लगा है, जो अच्छा है।
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