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No Confidence Motion In Lok Sabha: मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा आज से होगी शुरू, राहुल गांधी छह महीने बाद संसद में बोलेंगे, सत्ता पक्ष व विपक्ष एक दूसरे पर होंगे हमलावर

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर आज से लोकसभा में चर्चा शुरू होगी जो करीब तीन दिनों तक चलेगी। इस दौरान सत्ता व विपक्ष के तमाम बड़े नेता बोलेंगे और अंत में वोटिंग होगी जिसमें केंद्र सरकार को महुमत साबित करना होगा। हालांकि आंकड़े बताते हैं कि बहुमत हासिल करने में नरेंद्र मोदी सरकार को काई दिक्कत नहीं होने वाली है और वह इसे असानी से हासिल कर लेगी।

ऐसे में देखना है कि विपक्ष इस प्रस्ताव के जरिए क्या हासिल करता है इसके साथ ही क्या वह इसके जरिए PM मोदी को संसद में बोलने के लिए बाध्य कर पाता है या नहीं है। क्योंकि इस प्रस्ताव को लाने का मूल उद्देश्य ही यह है कि PM मोदी संसद में आकर मणिपुर हिंसा पर बोलें।

जानिए क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव:

No Confidence Motion को लेकर संविधान विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत के संविधान में विश्वास प्रस्ताव या अविश्वास प्रस्ताव का कोई जिक्र नहीं है।
आर्टिकल-75 में सिर्फ इतना कहा गया है कि सरकार यानी प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह होता है। लोकसभा में जनता के प्रतिनिधि बैठते हैं, इसलिए सरकार के पास इस सदन का विश्वास होना जरूरी है। इस सदन में बहुमत होने पर ही किसी सरकार को सत्ता में रहने का अधिकार है।
इसी को आधार बनाकर लोकसभा के रूल 198 में अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र है। इसे सरल भाषा में कहें तो अविश्वास प्रस्ताव ये जांचने का एक तरीका है कि सरकार के पास लोकसभा में बहुमत है या नहीं।

मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं:

लोकसभा में संख्याबल के हिसाब से देखें तो अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव पास होने के लिए उस पर वोटिंग के समय लोकसभा में मौजूद 50%+1 सांसदों के वोटों की जरूरत होती है। मोदी सरकार आराम से इसे हासिल कर लेगी। क्योंकि उसके पास 330 से अधिक सदस्यों का समर्थन है जो बहुतम के आंकड़े 272 से कही अधिक है।

छह महीने बाद राहुल गांधी आज संसद में बोलेंगे:

इस अविश्वास प्रस्ताव के दौरान जिन कुछ प्रमुख व्यक्तियों के संबोधन पर नजर रहेगा उसमें कांग्रेस नेता व केरल से सांसद राहुल गांधी भी शामिल हैं। हाल ही में उनकी सदस्यता सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बहाल हुई है। वे करीब छह महीने बाद संसद में बोलेंगे।

ऐसे में देखना होगा की वे नरेंद्र मोदी सरकार पर किस प्रकार से हमला करते हैं। मालूम हो कि मोदी सरनेम मानहानि मामले में निचली आदलत से दो साल की सजा मिलने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता चली गयी थी।

जिसकी वजह से वे संसद में नहीं जा पा रहे थे। लेकिन पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी। जिसकी बाद एक बार फिर से राहुल गांधी की सदस्यता बहाल हो गयी है। ऐसे में वे मंगलवार से संसद में जा सकेंगे।

सरकार की ओर से दस सांसद लेंगे चर्चा में भाग

No Confidence Motion के दौरान होने वाले बहस में सरकार की ओर से कम से कम दस सांसद चर्चा में भाग लेंगे। इन सांसदों को क्षेत्र विशेष की उपलब्धियां गिनाने का निर्देश दिया गया है।
मतलब हर वक्ता मोदी सरकार के अलग-अलग क्षेत्र की उपलब्धियां गिनाएंगे। सभी के बोलने का वक्त लोकसभा स्पीकर द्वारा तय किया जाएगा।

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