Home » अब यूपी में प्राइवेट अस्पतालों में भी बनेगा मृत्यु प्रमाणपत्र, नए आदेश से होगी सुविधा और सख्ती

अब यूपी में प्राइवेट अस्पतालों में भी बनेगा मृत्यु प्रमाणपत्र, नए आदेश से होगी सुविधा और सख्ती

नई गाइडलाइन के मुताबिक, अब प्राइवेट अस्पतालों को मरीज के जन्म और मृत्यु से संबंधित सर्टिफिकेट बनाना अनिवार्य होगा। अगर किसी अस्पताल ने इन प्रमाणपत्रों को बनाने से इनकार किया, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

by Anurag Ranjan
अब यूपी में प्राइवेट अस्पतालों में भी बनेगा मृत्यु प्रमाणपत्र, नए आदेश से होगी सुविधा और सख्ती
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिससे प्रदेश के नागरिकों को बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट प्राप्त करने में अब और भी आसानी होगी। अब प्राइवेट अस्पतालों में भी मृत्यु प्रमाणपत्र (Death Certificate) बनाए जा सकेंगे, जिससे मरीजों के परिजनों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। पहले यह सुविधा सिर्फ सरकारी अस्पतालों तक सीमित थी, लेकिन अब प्राइवेट अस्पतालों में भी यह सुविधा उपलब्ध होगी, जो नागरिकों के लिए बड़ी राहत साबित होगी।

नया आदेश: बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट के लिए अस्पतालों की जिम्मेदारी

नई गाइडलाइन के मुताबिक, अब प्राइवेट अस्पतालों को मरीज के जन्म और मृत्यु से संबंधित सर्टिफिकेट बनाना अनिवार्य होगा। अगर किसी अस्पताल ने इन प्रमाणपत्रों को बनाने से इनकार किया, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। इस फैसले के तहत प्राइवेट अस्पतालों को यह व्यवस्था लागू करने के लिए 31 मार्च तक का समय दिया गया है, जिससे वे अपने सिस्टम में आवश्यक बदलाव कर सकें।

पुराने सर्टिफिकेट को नया बनवाने की सुविधा

इस नई व्यवस्था के तहत, पुराने दस्तावेजों से नया प्रमाणपत्र भी बनवाया जा सकेगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति का पुराना या हाथ से लिखा गया जन्म या मृत्यु प्रमाणपत्र है, तो अब वह इसे नए और आधिकारिक तरीके से फिर से प्राप्त कर सकता है। इसके लिए नागरिकों को अब एसडीएम के आदेश की आवश्यकता नहीं होगी, जो पहले इस प्रक्रिया में अक्सर एक बाधा बन जाती थी। अब यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी की जा सकेगी, जिससे समय की बचत होगी और दस्तावेज़ों का नवीनीकरण अधिक सुगम होगा।

क्यूआर कोड के साथ प्रमाणपत्र

नई व्यवस्था में एक और खास बदलाव है, जिसके तहत बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट में क्यूआर कोड भी जोड़ा जाएगा। इस क्यूआर कोड से प्रमाणपत्र की वेरिफिकेशन प्रक्रिया को आसान और सुरक्षित बनाया जाएगा। अब कोई भी व्यक्ति आसानी से क्यूआर कोड स्कैन कर के यह सुनिश्चित कर सकेगा कि प्रमाणपत्र असली है और सही जानकारी के साथ जारी किया गया है।

सख्त कानूनी कार्रवाई

अगर किसी अस्पताल ने इस आदेश का पालन नहीं किया या फिर अगर किसी तरह का फर्जी सर्टिफिकेट जारी किया गया, तो संबंधित अस्पताल पर एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। इसके तहत IT एक्ट की धारा-318, 319, 336, 337, 338 और 340 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। यह सख्त कानून न केवल गलत तरीके से सर्टिफिकेट बनाने वालों के खिलाफ है, बल्कि यह पूरे सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

नगर निगम के चक्कर से राहत

कानपुर जैसे शहरों में नागरिकों को जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए नगर निगम कार्यालयों के कई चक्कर काटने पड़ते थे। इस नई व्यवस्था से अब लोगों को इन दफ्तरों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इसका लाभ खासकर उन नागरिकों को मिलेगा जिनके पास पहले से ही पुराने प्रमाणपत्र हैं और जिन्हें उन्हें अपग्रेड करने की जरूरत है।

प्राइवेट अस्पतालों पर कड़ी निगरानी

सरकार ने इस आदेश के पालन को सुनिश्चित करने के लिए प्राइवेट अस्पतालों पर कड़ी निगरानी रखने का भी फैसला लिया है। अस्पतालों को न केवल रिकॉर्ड को सही तरीके से मेंटेन करने के लिए कहा जाएगा, बल्कि उन्हें सभी ऑफलाइन और ऑनलाइन रिकॉर्ड नगर निगम में जमा भी करने होंगे। अगर अस्पताल इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की लापरवाही बरतते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

Read Also: मथुरा : होली पर मुस्लिम दुकानदारों के खिलाफ आपत्तिजनक मांग, सीएम योगी को खून से पत्र लिखा

Related Articles