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कर्नाटक हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान चला अश्लील वीडियो, घटना के बाद लाइव स्ट्रीमिंग व वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं पर रोक

by Rakesh Pandey
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बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट  से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। बताया गया है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दो सुनवाई के दौरान चलाए गए अश्लील वीडियो की वजह से वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा को निलंबित कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वराले ने इस बारे में अदालत में बताया। बता दें कि 4 दिसंबर को कम से कम छह अदालत कक्षों की वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग सुनवाई के दौरान अश्लील वीडियो चलाई गई।

इस घटना के बाद फिर मंगलवार को दोबारा अश्लील वीडियो चलाने की घटना हुई, जब अदालत दिन के लिए इकट्ठा हुई थी।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के बाद से कई उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिया सुनवाई कर रहे हैं। हालांकि, संवैधानिक मामले को लाइव स्ट्रीम करने का पहला उदाहरण पिछले साल फरवरी में सामने आया था, जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब प्रतिबंध की सुनवाई को यूट्यूब पर लाइवस्ट्रीम किया। इस घटना की सूचना मिलते ही मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई है और हम लाइव-स्ट्रीमिंग और वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं रोक रहे हैं।”

मुख्य न्यायाधीश ने राज्य के सभी महाधिवक्ता और वादियों सहित अधिवक्ताओं से अनुरोध करते हुए अदालत के प्रशासन के साथ सहयोग करने की बात की है। उन्होंने आगे कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा की अनुपलब्धता के बारे में शिकायत करने के लिए रजिस्ट्री में न जाएं। सेंट्रल डिवीजन में साइबर क्राइम पुलिस ने इस मामले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (कंप्यूटर) सुरेश ने साइबर अपराध पुलिस से संपर्क किया और आरोप लगाया कि जब न्यायाधीशों द्वारा वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग की कार्यवाही चल रही थी, तो कुछ अज्ञात लोग वीडियो कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए और अश्लील दृश्य दिखाए। इस मामले में साइबर क्राइम पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मामले की छानबीन शुरू कर दी है और अज्ञात व्यक्तियों की पहचान के लिए जांच जारी है।

शातिरों की धड़-पकड़ में जुटी पुलिस

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उच्च न्यायालय हमेशा जनता के साथ-साथ अधिवक्ताओं के लिए बेहतर सेवाओं के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के पक्ष में है, लेकिन जो स्थिति अभूतपूर्व है, उसके लिए हमें यह निर्णय लेना होगा। इस घटना के बाद राज्य के महाधिवक्ता और अन्य वकीलों से मुख्य न्यायाधीश ने अदालत के प्रशासन को सहयोग करने के लिए अनुरोध किया है और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा की अनुपलब्धता के बारे में शिकायत करने के लिए रजिस्ट्री में न जाएं।

सेंट्रल डिवीजन की साइबर क्राइम पुलिस ने अब तक मामले की शुरुआती जांच की है और जल्दी ही अज्ञात दोषियों को ढूंढ़ने का कार्रवाई करेगी। यह मामला साइबर सुरक्षा और न्यायिक प्रक्रिया में एक नई मोड़ की चुनौती प्रस्तुत कर रहा है, जिसपर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।

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