नई दिल्ली: हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव ने भारतीय शेयर बाजार में हाहाकार मचा दिया है। सेंसेक्स ने 1,6769.19 अंकों की गिरावट के साथ 82,497.10 पर और निफ्टी 50 ने 546.80 अंकों की कमी के साथ 25,250.10 पर बंद होने का आंकड़ा छुआ। इस भयंकर गिरावट से बेंचमार्क इक्विटी सूचकांकों पर भारी दबाव पड़ा है, जिसके चलते निवेशकों का कुल 11 लाख करोड़ रुपये डूब गया।
मध्य पूर्व में उथल-पुथल
शेयर बाजार में यह गिरावट अन्य एशियाई बाजारों के समान है। ईरान द्वारा इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागने के बाद मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ गया है, जिससे निवेशकों ने जोखिम कम करने का फैसला किया। इस संकट के चलते कुल संपत्ति 464.3 लाख करोड़ रुपये रह गई है।
इन प्रमुख कारकों ने बढ़ाया दबाव
1) ईरान-इजरायल के बीच बढ़ता तनाव
गुरुवार को ईरानी-इज़राइली संघर्ष ने भारतीय शेयरों को प्रभावित किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायली सेना के ऑपरेशन में कई सैनिकों की मौत ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
2) कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल
ईरान की ओर से की गई मिसाइल दागने की घटना के बाद कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ गई हैं। ब्रेंट क्रूड ने 75 डॉलर प्रति बैरल को पार कर लिया है, जो भारत जैसे बड़े तेल आयातक के लिए चिंता का विषय है।
3) सेबी के नए नियम
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का एक और कारण बाजार नियामक सेबी द्वारा वायदा और विकल्प सेगमेंट में नियमों को कड़ा करना भी है। इससे बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है।
4) चीन का प्रभाव
चीन के शेयरों में हालिया सुधार के चलते भारतीय निवेशकों में चिंता का माहौल है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के आर्थिक प्रोत्साहन उपायों से भारतीय बाजार में धन का संभावित बहाव हो सकता है। इन तमाम कारणों से भारतीय शेयर बाजार में हाहाकार मचा है। निवेशकों को इस स्थिति से सावधान रहने की सलाह दी जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह गिरावट लंबे समय तक जारी रहेगी या निवेशक फिर से बाजार में भरोसा जताएंगे।
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