स्पेशल डेस्क : परीक्षा पे चर्चा के 7वें संस्करण में (Pariksha Pe Charcha 2024) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों से बात की और कई बातें शेयर की। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा से पहले पीएम के ये मंत्र काफी पसंद किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “परीक्षा पे चर्चा” के दौरान बच्चों को स्वस्थ रहने के अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान उन्होंने बताया कि स्वस्थ्य रहने के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है। सिर्फ पढ़ाई ही जरूरी नहीं है।
पढ़ाई के साथ अपनी सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए। खासतौर पर सनलाइट में भी बैठना जरूरी है और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक्सरसाइज भी जरूरी है।
स्वस्थ रहने के लिए नींद का महत्वपूर्ण योगदान
पीएम मोदी ने कहा कि जब भी वह बिस्तर पर जाते हैं, तो 30 सेकेंड में गहरी नींद में चले जाते हैं। यानी स्वस्थ रहने के लिए नींद का महत्वपूर्ण योगदान है। पीएम में मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल पर भी बच्चों को सचेत किया। पीएम ने कहा कि रील देखने के चक्कर में कई बार घंटों बीत जाते हैं, पता ही नहीं चलता। पीएम मोदी ने अपनी स्पीच की शुरुआत में भारत मंडपम का जिक्र किया। पीएम ने बच्चों से कहा कि जिस जगह आप बैठे हैं, उस जगह दुनिया के दिग्गज नेता भविष्य पर चर्चा करके गए हैं।
मेरे साथ 140 करोड़ देशवासी : पीएम (Pariksha Pe Charcha 2024)
पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं, चुनौतियां जाएंगी, स्थितियां सुधर जाएंगी, लेकिन उसके जाने की प्रतीक्षा करते हुए मैं सोया हुआ नहीं रहता हूं। हर चुनौती का मुकाबला करने के लिए रणनीति बनाता हूं। मेरे अंदर एक आत्मविश्वास है। मैं यह मानता हूं कि कुछ भी हो जाए, मेरे साथ 140 करोड़ देशवासी हैं।आगे मुझे रहना होगा।
गरीबी हटाने के लिए नागरिकों का सशक्त होना जरूरी
उन्होंने कहा कि अब तक हिंदुस्तान की हर सरकार को गरीबी के संकट से जूझना पड़ता है। मैंने रास्ता खोजा। मैंने सोचा कि सरकार कौन होती है गरीबी हटाने वाली। गरीबी तब हटेगी, जब हमारे देश का नागरिक सशक्त होगा, जब वह सामर्थ्यवान बनेगा। उसे घर मिल जाए, उसे शिक्षा मिल जाए, तब माना जाएगा कि असल मायने में गरीबी गई।
बच्चों को हर वक्त समझाएं नहीं
पीएम मोदी ने कहा है कि माता-पिता को ज्यादा समझाने से बचना चाहिए। कभी-कभी पिता बच्चों को बोलते रहते हैं। पिता चुप होते हैं, तो मां बोलने लगती हैं। फिर बड़ा भाई बोलने लगता है। कई बच्चे इसे सकारात्मक लेते हैं, लेकिन इससे भी दबाव पड़ता है। प्रतिस्पर्धा का जहर पारिवारिक वातावरण में ही बो दिया जाता है। इसलिए सभी पेरेंट्स से आग्रह है कि बच्चों के बीच तुलना मत कीजिए। इससे बच्चों के अंदर द्वेष का भाव पैदा हो जाता है। गौरतलब है किइस बार कार्यक्रम के लिए 2 करोड़ से ज्यादा छात्रों ने पंजीकरण कराया था।
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