पटना : बिहार की राजधानी पटना का इतिहास सम्राट चंद्रगुप्त ओर चाणक्य के समय से भी पुराना रहा है। इस ऐतिहासिक शहर से जुड़े कई तथ्य और कहानियां पढ़ी और कही जाती हैं। वर्तमान में पयर्टन की दृष्टि से भी इसका काफी महत्व है। इस शहर से कई रोचक तथ्य भी जुड़े हैं। उनमें से एक है पटना का गोलघर। अक्सर इसके बुर्ज पर खड़े सैलानियों की तस्वीरें दिख जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इस विशाल गोलघर का निर्माण क्यों और किसने किया था?
पटना का गोलघर: वो अद्वितीय संरचना है जिसकी कहानी लौटाती है वक्त के अंबर में छुपी कई मिसालें। मशहूर ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों के बारे में हम जब भी सोचते हैं तो ‘बिहार’ का नाम हमारे लिस्ट में जरूर होता है। इसका इतिहास करीब 3000 साल से भी ज्यादा पुराना है। करीब 336 साल पुराना ‘गोलघर’ इन प्राचीन स्थलों में से एक है। गोलघर, ब्रिटिश काल के दौरान बनाया गया वास्तु कला का एक अद्भुत नमूना है। आइए जानते हैं बिहार के हृदय में बसी गोलघर की अनसुनी कहानी, जिसमें छुपा हैं ऐतिहासिक महत्व।
गोलघर का निर्माण क्यों हुआ?
पटना गोलघर की रचना पर्यटन स्थल के उद्देश्य से बिल्कुल नहीं कराई गई थी, बल्कि भुखमरी से बचाव के लिए एक उपाय था। गोलघर का निर्माण अंग्रेजों द्वारा 1770 मैं पटना में आए भयंकर अकाल के बाद 1,37,000 टन अनाज भंडार के लिए बनाया गया था। वर्तमान में यह ऐतिहासिक इमारत एक पर्यटन स्थल है। गोलघर का निर्माण 1786 में कराया गया था। भयंकर भुखमरी के शिकार होने के कारण एक करोड़ लोगों की मृत्यु हो गई थी, इसके उपरांत यह फैसला लिया गया कि अनाज के रख-रखाव के लिए एक इमारत बनाई जाएगी। गोलघर का निर्माण 20 जनवरी 1784 को प्रारंभ हुआ था तथा इसका निर्माण कार्य 20 जुलाई 1786 को संपन्न हुआ था। इसके निर्माण का आदेश तब के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने दिया था। गोलघर के निर्माण का श्रेय ब्रिटिश इंजीनियर जॉन गारस्टिन को मिलता है। इसके निर्माण के इतने वर्ष बाद भी गोलघर आज भी संरक्षित है।
क्यों खास है गोलघर
बिहार किसी एक चीज के लिए नहीं बल्कि कई चीजों के लिए पूरे विश्व में फेमस है उसी में एक नाम गोलघर का है। गोलघर को जिस उद्देश्य से बनाया गया था वह उद्देश्य ही सबसे खास हैं- भुखमरी से बचाव के लिए अनाज भंडार, वहीं गोलघर की स्तूप के आकार की संरचना लोगों के आकर्षण का केंद्र है। इसमें एक साथ 1,40,000 टन अनाज एक साथ रखा जा सकता हैं। इसके चारों तरफ गोल घुमावदार 145 सीढ़ियां हैं जिसकी मदद से आप गोलघर के शीर्ष पर जा सकते हैं और शहर की खूबसूरती का मजा ले सकते हैं। गोलघर का आकार 125 मीटर और ऊंचाई 29 मीटर है। गोलघर की दीवारें 3.6 मीटर मोटी है।
कभी पूरा भरा नहीं जा सका गोलघर
बताया जाता है की गोलघर के निर्माण के बाद कई खामियां देखी गई है, जैसे गोलघर के दरवाजे भीतर की ओर खुलते हैं। जिसके कारण अनाज पूरा भरने पर खोल कर अनाज निकालने में परेशानी होती थी। गोलघर के पूरे बंद होने के कारण गोलघर में रखें अनाजों के जल्दी खराब हो जाने का डर बना रहता हैं। बाद के समय में इसमें अनाज का भंडारण नहीं किया गया, इसका मतलब यह है कि गोलघर को बनाने का उद्देश्य कभी पूरा नहीं हुआ।
गोलघर कहां स्थित है और कैसे पहुंचे?
गोलघर बिहार की राजधानी पटना में गांधी मैदान के पश्चिम में स्थित हैं। बिहार आने के बाद के बाद अब गोलघर तक आसानी से पहुंच सकते हैं। आप यदि ट्रेन से आ रहे हैं तो पटना रेलवे स्टेशन पहुंचकर कोई कैब या टैक्सी लेकर जा सकते हैं। अगर आप हवाई यात्रा करके आ रहे हैं तो आप कोई भी लोकल टैक्सी या कैब लेकर जा सकते हैं।
गोलघर कब खुलता हैं?
गोलघर घूमने के लिए मंगलवार से रविवार सुबह 10 से शाम 5 बजे तक घूम सकते हैं। सोमवार को साप्ताहिक अवकाश रहता हैं।