हेल्थ डेस्क: सरकार द्वारा नए दवा मानकों की घोषणा के साथ, देश में दवा उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार को बढ़ावा देने का कदम उठाया गया है। नए निर्देशों के अनुसार, दवा निर्माता कंपनियों (Pharmaceutical Company) को अब अपने उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने और विनिर्दिष्ट मानकों का पालन करने के लिए औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को पूरी जानकारी देनी होगी। इस नए पहलू में, जानिए कैसे यह कदम देश के दवा उत्पादन के क्षेत्र में सुरक्षितता और गुणवत्ता को मजबूती प्रदान करने का प्रमुख कारक बन सकता है।
Pharmaceutical Company: दवा निर्माताओं की बढ़ेगी जिम्मेदारी
सरकार ने दवा निर्माता कंपनियों (Pharmaceutical Company) के लिए नए मानकों का निर्धारण करते हुए एक नया मार्ग प्रशस्त किया है। इसके अनुसार, अब दवा कंपनियों (Pharmaceutical Company) को दवाओं की गुणवत्ता को वापस मंगाने पर सीडीएससीओ को पूरी जानकारी देनी होगी। इससे दवा निर्माताओं (Pharmaceutical Company) पर जिम्मेदारी का भार बढ़ेगा, जिससे उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्ता की दवाएं मिलेंगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के नए दिशा-निर्देश
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा निर्माता कंपनियों (Pharmaceutical Company) मिलेगी के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि दवाओं की गुणवत्ता की जिम्मेदारी निर्माता पर होगी। कोई दवा इस्तेमाल के लिए उपयुक्त है या नहीं, दवा के इस्तेमाल से किसी मरीज की जिंदगी खतरे में तो नहीं आएगी अब यह दवा निर्माता की जिम्मेदारी होगी। बता दें की इसमें उच्च गुणवत्ता की दवाओं को बनाने की मानकों की बात की गई है।
निर्माता की जिम्मेदारी
नए मानकों के तहत, अब दवा कंपनियों (Pharmaceutical Company) को इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि उनकी बनाई गई दवाएं वैश्विक स्तर पर स्वीकृत हों। दवा कंपनियों को गुणवत्ता की जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी, और यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी तैयार दवा में कोई खराबी नहीं है।
नमूने की पर्याप्तता और जानकारी रखनी होगी
नई अधिसूचना के अनुसार, दवा कंपनियों (Pharmaceutical Company) को अब भी अंतिम उत्पाद के पर्याप्त नमूने रखने होंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि दवा निर्माता द्वारा बनाई गई दवाएं स्वीकृति के लायक हैं और उनमें कोई खराबी नहीं है। वहीं पिछले साल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि दिसंबर 2022 से अगस्त 2023 के दौरान 162 दवा फैक्टरियों का निरीक्षण किया गया। इनमें कच्चे माल की जांच नहीं की जा रही थी। World Health Organization के मुताबिक भारत की 8,500 छोटी दवा फैक्टरियों में से एक-चौथाई से भी कम डब्ल्यूएचओ के मानकों पर खरी उतर पाएंगी।
नकली दवाओं से बचाव
पिछले कुछ वर्षों में भारत में बनी दवाओं से विदेश में बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं। सरकार ने नकली दवाओं से बचाव के लिए उद्योग को गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। इसमें यह भी शामिल है कि जांच में असफलता होने पर उत्पादन बंद करने का कारण और सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि नकली और कमजोर दवाओं का बाजार में प्रवेश नहीं हो सके। इस सारे प्रक्रिया का उद्दीपन करते हुए, नागरिकों को विश्वास और सुरक्षा की भावना से दवाएं प्राप्त होंगी, और स्वास्थ्य सेवाओं की सुधार को प्रोत्साहित किया जाएगा।
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