– अर्जुन मुंडा और बिद्युत बरण महतो की सफलता से नेताओं को रहा है रस्क
– शैलेंद्र महतो की पत्नी को भी मिला नया राजनीतिक फलक, दो बार बनीं सांसद
– कृष्णा मार्डी,सूर्य सिंह बेसरा से लेकर कुणाल षाडंगी तक ने छोड़ी पार्टी
वीरेंद्र ओझा
जमशेदपुर : Jharkhand JMM MLA Political Crisis : झारखंड मुक्ति मोर्चा के कोल्हान खेमे में एक बार फिर बगावत हुई है। इस बार पार्टी के खिलाफ सरायकेला से विधायक चम्पाई सोरेन ने विरोध का बिगुल फूंका है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो झामुमो से बागी होने वाले कोल्हान के नेताओं के लिए भविष्य की राजनीतिक जमीन काफी उर्वरा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और जमशेदपुर के सांसद बिद्युत बरण महतो की सफलता दूसरे नेताओं के बीच रस्क का विषय है।
इसी तरह पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो की बगावत ने पत्नी आभा महतो को नया राजनीतिक फलक प्रदान किया। वह जमशेदपुर लोकसभा सीट से दो बार संसद सदस्य निर्वाचित होने में कामयाब रहीं।
अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हैं कि क्या चम्पाई सोरेन अपने पुराने साथियों की तरह ही नए साथी के रूप में भाजपा का चुनाव करते हैं या किसी दूसरे विकल्प की ओर कदम बढ़ाते हैं।
Jharkhand JMM MLA Political Crisis : किस दिग्गज नेता ने कब छोड़ी पार्टी
सूर्य सिंह बेसरा : झारखंड गठन की मांग को लेकर चल रही लड़ाई के समय झारखंड मुक्ति मोर्चा की छात्र इकाई के रूप में गठित आजसू में सूर्य सिंह बेसरा सबसे चमकदार चेहरा रहे। आजसू के अलग अस्तित्व में आने के बाद बेसरा 1990 में घाटशिला से विधायक चुने गए थे। अलग राज्य की मांग पर ही कार्यकाल पूरा होने से पहले इन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह वर्तमान में भी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं।
शैलेंद्र महतो : झामुमो से दो बार सांसद रहे। वर्ष 1996 में पार्टी छोड़ दी। इसके बाद इनकी पत्नी आभा महतो दो बार भाजपा से सांसद बनीं।
अर्जुन मुंडा : झारखंड मुक्ति मोर्चा से विधायक रह चुके अर्जुन मुंडा ने वर्ष 2000 में पार्टी को छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने कभी अपने राजनीतिक कॅरियर में पीछे मुड़कर नहीं देखा। झारखंड के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र में कृषि मंत्री तक बने।
बिद्युत बरण महतो : झामुमो से बहरागोड़ा के विधायक रहे बिद्युत बरण महतो ने वर्ष 2014 में पार्टी छोड़ दी। इसके बाद भाजपा के टिकट पर जमशेदपुर से सांसद बने। वह जमशेदपुर लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार सांसद निर्वाचित होने में सफल रहे।
कृष्णा मार्डी : सिंहभूम सीट से झामुमो के टिकट पर सांसद रहे कृष्णा मार्डी वर्ष 2017 में पार्टी से अलग हो गए थे। झामुमो ने दावा किया कि उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निष्कासित किया गया। वहीं मार्डी ने कहा कि वह खुद ही पार्टी से अलग हो गए।
कुणाल षाड़ंगी : बहरागोड़ा से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक रहे कुणाल षाड़ंगी वर्ष 2019 में पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने उन्हें अपना प्रदेश प्रवक्ता तक बनाया था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही भाजपा से अलग हो गए।
दुलाल भुईयां : जुगसलाई से झामुमो के टिकट पर विधायक रहे दुलाल भुईयां ने भी पार्टी छोड़ी। वह झारखंड सरकार में झामुमो के विधायक के रूप में मंत्री भी बने थे। झाविमो, कांग्रेस फिर भाजपा होते हुए दुलाल एक बार फिर झामुमो में आ गए हैं।
आनंद बिहारी दुबे : कांग्रेस के मौजूदा जिलाध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे ने भी झारखंड मुक्ति मोर्चा से ही अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत की थी। ये झामुमो के जमशेदपुर नगर अध्यक्ष भी रहे। कांग्रेस में शामिल होने के बाद इन्हें पार्टी ने जमशेदपुर पूर्वी से अपना प्रत्याशी बनाया। वर्तमान में ये फिर कांग्रेस के टिकट की रेस में हैं।