लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की नागरिकता के विवाद पर केंद्र सरकार से ब्योरा मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या उसने नागरिकता अधिनियम-1955 के तहत दायर उस अभ्यावेदन पर कोई निर्णय लिया है जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता होने के आरोपों की जांच कराने का अनुरोध किया गया है।
लखनऊ बेंच में न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओमप्रकाश शुक्ला की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हो रही है। वहीं कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर द्वारा राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।
कोर्ट ने एक बार खारिज कर दी थी याचिका
बता दें कि बीते जुलाई में इसी याचिकाकर्ता की याचिका को हाईकोर्ट ने ये कह कर खारिज कर दिया था कि, याचिकाकर्ता चाहे तो नागरिकता एक्ट के तहत सक्षम प्राधिकारी के पास शिकायत कर सकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने बताया कि, उनके पास सबूत हैं कि रायबरेली सांसद राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं, जिस कारण वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं। ऐसे में उनका निर्वाचन रद्द किया जाए। इसके साथ ही शिशिर के मुताबिक, सक्षम प्राधिकारी को दो बार शिकायत के बाद भी कोई एक्शन न होने पर दोबारा याचिका दाखिल की गई। इसके बाद बुधवार को सुनवाई के दौरान एस विग्नेश शिशिर व्यक्तिगत रूप से हाईकोर्ट के सामने पेश हुए। शिशिर ने मामले में सीबीआई जांच की मांग की है।
केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सिटीजनशिप एक्ट-1955 के तहत केंद्र सरकार के सक्षम अधिकारी से की गई शिकायत पर एक्शन का ब्योरा मांगा है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि कोई भी फैसला लेने से पहले वो एक बार भारत सरकार के फैसले को जानना चाहेंगे, कि उन्होंने इस शिकायत पर क्या और किस तरह का एक्शन लिया है। वहीं मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को की जाएगी।
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