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Gorakhpur AIIMS: मार्च से शुरू होगी रेडियोथेरेपी की सुविधा, कैंसर मरीजों को मिलेगी राहत

एम्स में ब्लड कैंसर, लिवर का कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर, मुंह का कैंसर, खाने की नली का कैंसर, स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर आदि का इलाज हो रहा है।

by Anurag Ranjan
मार्च महीने से केंसर मरीजों के लिए रेडियोथेरेपी की सुविधा मिलनी शुरू होने की संभावना है
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गोरखपुर : एम्स में मार्च महीने से केंसर मरीजों के लिए रेडियोथेरेपी की सुविधा मिलनी शुरू होने की संभावना है। एम्स प्रशासन इस दिशा में काम कर रहा है। केंसर विभाग में लिनियर एक्सीलेटर मशीन स्थापित की जा चुकी है। रेडियोथेरेपी की सुविधा के लिए अब तक वाराणसी, लखनऊ और दिल्ली जाना पड़ता है। अभी एम्स में सिर्फ कीमोथेरेपी की सुविधा केंसर मिल पा रही है।

केंसर रोगियों के लिए शुरू हो चुकी है सर्जरी

गौरतलब है कि तकरीबन डेढ़ वर्ष पहले ही एम्स के कैंसर विभाग के लिए लीनियर एक्सीलेटर मशीन मंगा ली थी। लेकिन, रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर (आरएसओ) कि अनुपलब्धता के कारण मशीन की स्थापना नहीं हो पा रही थी। जब आरएसओ की तैनाती हुई तो यह मालूम हुआ कि चूहों ने मशीन के भीतर घुसकर कई तार काट दिए हैं। इसे ठीक करने के लिए इंजीनियरों को बुलवाना पड़ा। इस कारण वर्ष 2024 में रेडियोथेरेपी शुरू करने के दावे को पूरा नहीं किया जा सकेगा। जानकारी के लिए बता दें कि एम्स गोरखपुर के सर्जरी विभाग में कैंसर रोगियों के लिए सर्जरी शुरू की जा चुकी है। फिलहाल स्तन समेत अन्य छोटे कैंसर की सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। बड़े मामलों को हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है।

चल रही है कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया

एम्स के सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.मुकुल सिंह के अनुसार, लीनियर एक्सीलेटर मशीन के मार्च महीने तक शुरू होने की संभावना है। इस व्यवस्था को संचालित करने के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। एम्स में रेडियोथेरेपी का रेट काफी कम रहेगा। इससे रोगियों को राहत मिलेगी। अत्याधुनिक मशीन होने से कैंसरग्रस्त कोशिका के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। एम्स में ब्लड कैंसर, लिवर का कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर, मुंह का कैंसर, खाने की नली का कैंसर, स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर आदि का इलाज हो रहा है।

ये मशीनें हैं मौजूद

हाई एनर्जी लीनियर एक्सीलेरेटर मशीन: लीनियर एक्सीलरेटर से सीधे कैंसर ट्यूमर वाले हिस्से पर रेडिएशन डाला जाता है। इससे दूसरी कोशिका को नुकसान नहीं पहुंचता है। सिर्फ केवल कैंसर ग्रस्त कोशिश खत्म होती है।

ब्रेकी थेरेपी मशीन: कैंसर के रोगियों के शरीर के बाहरी हिस्से की कोबाल्ट मशीन से सिंकाई कर जख्म ठीक किया जाता है। इसके बाद शरीर के अंदर के जख्म को ठीक करने के लिए ब्रेकी थेरपी का इस्तेमाल किया जाता है। गर्भाशय, मुंह के अंदर के जख्म के लिए इस मशीन का उपयोग होता है।

सीटी सिमुलेटर: सीटी सिमुलेटर सीटी स्कैन की तरह है। इसमें रेडिएशन की डोज कंप्यूटर से निर्धारित की जाती है। कंप्यूटर की मदद से तीन तरफ से तस्वीर देखकर कैंसर प्रभावित हिस्से को लक्ष्य किया जाता है। इससे शुरुआती दौर के कैंसर को जड़ से समाप्त करना संभव होगा।

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