रांची : रांची के जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ का सोमवार को नेत्रदान अनुष्ठान संपन्न हुआ। शाम पांच बजे के बाद भगवान के दर्शन सुलभ हो गए। इसके बाद मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना हुई। प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा का 14 दिनों बाद भक्तों ने दर्शन किए।
मंगलवार को प्रात: भगवान की पूजा होगी। इसके बाद पट खोल दिया जायेगा। दिन में पट बंद कर भगवान समेत सभी विग्रहों को रथारूढ़ किया जायेगा। रथ की सजावट और विष्णु लक्षार्चना कर आरती होगी। भक्त रथ को खींचते हुए मौसीबाड़ी ले जायेंगे। भगवान को यहां मंदिर में विराजमान किया जायेगा। मंगल आरती व भोग निवेदन के बाद मंदिर का पट बंद कर दिया जायेगा। चार जून को स्नान यात्रा के दिन से प्रभु एकांतवास में थे।
जगन्नाथपुर मंदिर में 333 वर्ष से रथ यात्रा निकाली जा रही है। मेले की सुरक्षा के लिए 16 बैरिकेडिंग बनाए गए हैं। वहीं 40 से भी अधिक सीसीटीवी कैमरों की मदद से मेले की निगरानी की जायेगी। सुरक्षाबल तैनात होंगे। साथ ही सादे लिबास में महिला और पुरुष सुरक्षा कर्मियों की तैनाती रहेगी। मंदिर परिसर में 10 दिन तक मेला लगा रहता है। इस मेले में दूर- दूर से लोग शामिल होने और भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने आते हैं। कई तरह के झूले, मिठाईयां, बर्तन, ग्रामीण उपयोग की चीजें, चाकू, छुरी और तलवार बिकते हैं। रथ यात्रा के दौरान जगन्नाथपुर में लगने वाला मेला लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है।
चार एकड़ में फैले जगन्नाथपुर मेला परिसर में झूले व अन्य स्टॉल को स्थापित करने में 1000 से अधिक कारीगर दिन-रात जुटे हुए हैं। एक झूले में 12 से 15 स्टाफ काम कर रहे हैं, जिससे 100 लोगों से अधिक परिवार जुड़ा हुआ है। इस वर्ष 50 से अधिक झूले लगाये गए हैं। इन झूले में चार वर्ष के बच्चे से लेकर 65 वर्ष तक के बुजुर्ग को चढ़ने की अनुमति होगी। बच्चों के लिए जहां ट्रेन, मिक्की हाउस, जंपिंग, धूम बाइक, ड्रैगन और हेलीकॉप्टर जैसे दर्जनों झूले होंगे। वहीं बड़ों और बुजुर्गों के लिए 18 से लेकर 120 फीट ऊंचे टावर झूले लगाये जा रहे हैं। पिछले वर्ष की तुलना इस बार 20 से अधिक झूले मेला परिसर में लगाये जा रहे हैं, ताकि लोगों को झूले का आनंद लेने के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े।
झूले के टिकट की रेंज 30-150 रुपये होगी
इस वर्ष जगन्नाथपुर रथ मेला को लेकर टेंडर निकाला गया था। अंतिम रूप से पश्चिम बंगाल के राजू चंद्रा ने 76 लाख रुपये में टेंडर हासिल किया। मेला व्यवस्थापक अब्दुल सलाम ने बताया कि इस वर्ष मेला से एक करोड़ रुपये से अधिक कमाई का अनुमान है। इस बार 20 से अधिक झूले मेला परिसर में लगाये जा रहे हैं, ताकि लोगों को झूले का आनंद लेने के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े।
झूले रहेंगे आकर्षण का केन्द्र
इस बार झूले 11 लगाये गये हैं। ब्रेक डांस दो लगते थे, जो इस बार सात होंगे, दो टोरा-टोरा की जगह अब चार लगेंगे। तीन मौत का कुआं अलग-अलग आकार के होंगे। बच्चों के झूले जो आठ होते थे अब 15 से अधिक होंगे, ड्रैगन ट्रेन जो दो होती थी, इस बार इसकी संख्या चार है। बीते वर्ष तक जहां तीन नाव झूला लगा था, इस बार 10 नाव झूला अलग-अलग आकार के लगाये जा रहे हैं।
जगन्नाथपुर मेला में इस वर्ष दो झूला आकर्षण का केंद्र बोगा। कर्नाटक के रास्ते रांची शहर में पहली बार सुनामी और थ्रीस-बी झूला लगाने की तैयारी है। दोनों ही झूले 70 फीट की ऊंचाई पर लोगों को बवंडर की तरह घुमायेंगे। यह दोनों झूला एक-एक लगाये जा रहे हैं। वहीं हथौड़े के आकार के दो रेंजर झूले 70 फीट की ऊंचाई पर 70 फीट की परिधि में 360 डिग्री घुमायेंगे।
मेला परिसर का खास आकर्षण टावर झूला होगा, जिसका रोमांच मेला परिसर में प्रवेश के साथ ही महसूस होने लगेगा। इस वर्ष कुल 11 टावर झूले लगाये जा रहे हैं। इनमें बच्चों के लिए 18 फीट का हाथ से चलनेवाला टावर झूला से लेकर मोटर से चलने वाला 120 फीट ऊंचा झूला है। यह ऊंचाई प्लेटफॉर्म के ऊपर की है। इसकी खासियत है कि इसमें 28 ट्रॉलियां होगी। साथ ही 26 सीटर वाले छह और 18 सीटर वाले तीन टावर झूले आकार लेने लगे हैं।