खेल डेस्क: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में भारतीय बल्लेबाज केएल राहुल को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया, जब उन्हें विकेट के पीछे कैच आउट करार दिया गया। यह फैसला मैदानी अंपायर रिचर्ड केटलबरो ने दिया था, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई टीम ने डीआरएस लिया और थर्ड अंपायर रिचर्ड इलिंगवर्थ ने नॉट आउट के फैसले को बदल दिया। इस फैसले के बाद पूर्व क्रिकेटरों और विशेषज्ञों ने थर्ड अंपायर के निर्णय पर सवाल उठाए, खासकर इसलिए क्योंकि यह निर्णय “स्प्लिट स्क्रीन व्यू” देखे बिना लिया गया था।
क्या था वह फैसला?
यह घटना लंच से ठीक दस मिनट पहले हुई, जब भारत ने पहले चार विकेट केवल 51 रन पर गंवा दिए थे। केएल राहुल ने 74 गेंदों में 26 रन बनाये और उनके बल्ले के किनारे से गेंद गुजरने के बाद यह अनुमान लगाया गया कि शायद बल्ला पैड पर टकराया था। राहुल, जो पहले से ही संदेह में थे, उन्होंने हताश होकर सिर हिलाया और मैदान छोड़ दिया।
रवि शास्त्री का बयान
भारत के पूर्व मुख्य कोच और फॉक्स क्रिकेट के कमेंटेटर रवि शास्त्री इस फैसले से नाराज दिखे। उन्होंने कहा, “मेरी पहली प्रतिक्रिया यही थी कि क्या थर्ड अंपायर के पास पर्याप्त सबूत थे जिससे उन्होंने मैदानी अंपायर के फैसले को बदल दिया? मैदानी अंपायर ने उसे नॉट आउट दिया था। मुझे नहीं लगता कि इस फैसले को बदलने के लिए पर्याप्त कारण थे।”
माइकल हसी का दृष्टिकोण
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज माइकल हसी ने भी इस फैसले को विवादास्पद मानते हुए कहा, “स्निकोमीटर पर स्पाइक था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि यह बल्ले से गेंद टकराने की आवाज थी या बल्ले से पैड टकराने की। हम देख सकते हैं कि बल्ला पैड से टकराया था, और मुझे इस पर संदेह है। यह फैसला पूरी तरह से सही नहीं कहा जा सकता। तकनीक का उद्देश्य सही फैसले लेना है, लेकिन इस मामले में तकनीक ने संदेह पैदा किया है।”
मैथ्यू हेडन और मार्क वॉ की राय
ऑस्ट्रेलिया के महान सलामी बल्लेबाज मैथ्यू हेडन ने कहा कि राहुल का पैड और बल्ला गेंद के गुजरने के समय एक साथ नहीं थे। “गेंद के किनारे से गुजरने के बाद बल्ला पैड से टकराया और स्निको ने शायद उसी आवाज को पकड़ा,” हेडन ने कहा। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज मार्क वॉ ने इसे “साहसिक फैसला” बताया और कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केएल राहुल को इस फैसले को स्वीकार करना होगा, हालांकि वह खुश नहीं होंगे।”
वसीम जाफर और इरफान पठान का समर्थन
भारत के पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर ने ट्वीट किया, “थर्ड अंपायर ने एक और एंगल मांगा था, जो नहीं दिया गया। अगर उन्हें यकीन नहीं था, तो उन्होंने मैदानी अंपायर का फैसला क्यों बदला? तकनीक का गलत इस्तेमाल और सही प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया।” पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान ने भी कहा, “अगर यकीन नहीं था, तो आउट क्यों दिया?”
इस विवादास्पद फैसले ने क्रिकेट जगत में तकनीक के इस्तेमाल को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सही निर्णय लेने के लिए थर्ड अंपायर के पास पर्याप्त प्रमाण नहीं थे, और इसे सही तरीके से हैंडल नहीं किया गया। अब यह देखना होगा कि भविष्य में ऐसी परिस्थितियों में तकनीक का इस्तेमाल किस तरह से किया जाएगा।
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