नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया कि वे भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि आगे कितनी और ब्याज दरों में कटौती होगी। उन्होंने अपने नाम का संदर्भ देते हुए कहा, ‘मैं संजय हूं, लेकिन महाभारत का संजय नहीं जो दूर दृष्टि से भविष्य देख सके’।
यह बयान उस सवाल के जवाब में आया, जब उनसे पूछा गया कि क्या आगे और रेपो रेट कटौती की संभावना है। इससे पहले आरबीआई ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की, जिससे अब यह 6 प्रतिशत हो गया है – जो नवंबर 2022 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
रेपो रेट में कटौती से सस्ते होंगे लोन
रेपो रेट में लगातार दूसरी बार की गई कटौती से ऋण की लागत घटेगी और इससे बैंकिंग सेक्टर के जरिए बाजार में अधिक तरलता (liquidity) आएगी। इससे कर्ज लेना सस्ता होगा, जो उपभोक्ताओं और उद्योगों दोनों के लिए लाभदायक है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक और राजकोषीय नीतियां मिलकर काम कर रही हैं, ताकि देश में विकास और महंगाई (Growth and Inflation Dynamics) की चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटा जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक आवश्यक तरलता सुनिश्चित करेगा ताकि मौद्रिक नीति के फैसलों का प्रभाव तेज़ी से बाजार में पहुंचे।
वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच नीति में बदलाव
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए नए वैश्विक टैरिफ और अन्य भू-राजनीतिक अस्थिरताओं के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था दबाव में है। ऐसे में भारत की मौद्रिक नीति को सतर्क रहते हुए लचीले ढंग से चलाना जरूरी है।
उन्होंने कहा, ‘यह एक संयुक्त प्रयास है… हाल ही में बजट में सरकार ने पूंजीगत व्यय में वृद्धि, कर छूट जैसी कई अहम घोषणाएं की हैं। आरबीआई ने भी रेपो रेट घटाया है और अपनी नीति का रुख बदल दिया है, जो दर्शाता है कि आगे दरों में गिरावट की दिशा है’।
संजय ने कहा – ‘मैं महाभारत वाला संजय नहीं’
प्रेस वार्ता के दौरान गवर्नर मल्होत्रा ने महाभारत के पात्र ‘संजय’ का उदाहरण देते हुए कहा, ‘मैं संजय हूं, लेकिन महाभारत का संजय नहीं हूं, जो दूरदृष्टि से बता सके कि भविष्य में क्या होगा’। महाभारत में संजय को दिव्य दृष्टि प्राप्त थी, जिससे वह कुरुक्षेत्र के युद्ध का आंखों देखा हाल धृतराष्ट्र को सुना पाते थे।
रेपो रेट, मुद्रास्फीति और विकास
आरबीआई का मुख्य लक्ष्य अब महंगाई को नियंत्रण में रखना और आर्थिक विकास को गति देना है। वर्तमान में तेल की कीमतों में गिरावट और मुद्रास्फीति के नरम रुख के बीच यह दर कटौती की गई है। संजय मल्होत्रा ने आश्वासन दिया कि आरबीआई आगे भी पर्याप्त तरलता बनाए रखेगा, ताकि नीति दर कटौती का पूरा लाभ आम जनता और उद्योगों को मिल सके।