धनबाद: राष्ट्रीय कोलियरी मज़दूर यूनियन (RCMU), जो कांग्रेस पार्टी से संबद्ध है, ने इंडियन नेशनल माइंस सुपरवाइजर्स एसोसिएशन (INMOSA) से 9 जुलाई को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल में समर्थन देने की अपील की है। यह हड़ताल भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की मज़दूर और उद्योग विरोधी नीतियों के खिलाफ आयोजित की जा रही है, जिसे कई प्रमुख राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों का समर्थन प्राप्त है।
RCMU ने कोल इंडिया की आउटसोर्सिंग कंपनियों को भी भेजा पत्र
RCMU के महासचिव एके झा ने सोमवार को INMOSA और कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की खानों में कार्यरत आउटसोर्सिंग कंपनियों को पत्र भेजकर अपील की कि 9 जुलाई को कोयला उत्पादन और डिस्पैच पूरी तरह बंद रखा जाए।
सरकार की नीतियों का विरोध, कंपनियों से नहीं
एके झा ने स्पष्ट किया कि यह हड़ताल आउटसोर्सिंग कंपनियों के खिलाफ नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की मज़दूर विरोधी और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ है। उन्होंने पत्र में लिखा, कि आउटसोर्सिंग कंपनियों को भी हड़ताल में शामिल होना चाहिए ताकि कोयला उद्योग को बचाया जा सके।”
“मजबूरी में लिया गया निर्णय”: RCMU
झा ने कहा कि हड़ताल का निर्णय किसी आवेग में नहीं, बल्कि मज़दूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए लिया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह 12 घंटे की ड्यूटी, 90 घंटे के वीक और सरकारी कंपनियों की बिक्री के माध्यम से मज़दूरों को बंधुआ मज़दूर बना रही है।
झारखंड में कोयला उत्पादन पर पड़ सकता है बड़ा असर
BCCL, CCL और ECL की खानों में दिख सकता है हड़ताल का प्रभाव INTUC, CITU, AITUC और HMS जैसे राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा जोरदार तैयारी की जा रही है। माना जा रहा है कि इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल का सबसे गहरा असर झारखंड में देखा जाएगा, खासकर BCCL, CCL और ECL की खानों में।
कोयला बेल्ट से मिल सकता है बड़ा समर्थन
विपक्षी यूनियनों में मजबूत समन्वय और मज़दूरों में गुस्सा बढ़ने के चलते यह संभावना जताई जा रही है कि 9 जुलाई को होने वाली हड़ताल व्यापक स्तर पर सफल हो सकती है। इस आंदोलन को कोयला बेल्ट में बड़ा समर्थन मिलने की उम्मीद है।
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