नई दिल्ली: लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल 2024 पास होने के बाद बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है। केंद्र की एनडीए सरकार की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इस बिल का समर्थन किया, जिससे पार्टी के मुस्लिम नेताओं में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। इस मुद्दे पर विरोध जताते हुए जेडीयू के वरिष्ठ नेता और पूर्वी चंपारण जिले के जेडीयू चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद कासिम अंसारी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना त्याग पत्र जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेज दिया है।
गुलाम गौस ने भी जताया था विरोध
वक्फ बिल को लेकर जेडीयू में असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे पहले, जेडीयू के एमएलसी गुलाम गौस ने भी इस बिल का विरोध किया था। उन्होंने ईद के मौके पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की थी, जिसके बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई थी।
कासिम अंसारी का इस्तीफे में बड़ा आरोप
कासिम अंसारी ने अपने त्याग पत्र में जेडीयू के वक्फ बिल पर लिए गए रुख की आलोचना करते हुए इसे ‘पसमांदा विरोधी’ करार दिया। उन्होंने कहा कि इस बिल के समर्थन से उन्हें और अन्य समर्पित भारतीय मुस्लिम कार्यकर्ताओं को गहरा आघात पहुंचा है। उन्होंने यह भी लिखा कि लोकसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता ललन सिंह ने जिस तेवर में इस बिल का समर्थन किया, उससे वे बेहद मर्माहत हुए हैं।
‘जेडीयू को पसमांदा समाज की परवाह नहीं’
अपने पत्र में अंसारी ने लिखा, “मुझे अफसोस है कि मैंने अपनी जिंदगी के इतने साल पार्टी को दिए, लेकिन यह पार्टी पसमांदा मुस्लिम समाज की चिंता नहीं करती। न ही इस बिल के प्रभावों का सही आकलन किया गया।” उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी।
बिहार की राजनीति में हलचल
कासिम अंसारी के इस्तीफे के बाद बिहार की राजनीति में चर्चाएं तेज हो गई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जेडीयू के मुस्लिम नेताओं में असंतोष बढ़ रहा है, जिसका असर आगामी चुनावों में देखने को मिल सकता है। इस मुद्दे पर अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
वहीं, विपक्षी दल इस मौके को भुनाने की पूरी कोशिश में हैं। आरजेडी और कांग्रेस ने जेडीयू के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी करार दिया है। देखना दिलचस्प होगा कि जेडीयू इस असंतोष को शांत करने के लिए क्या रणनीति अपनाती है।