जमशेदपुर। Vivek Maharaj : भुइयांडीह स्लैग रोड़ स्थित नीतिबाग कॉलोनी (डीएभी स्कूल के पास) में चल रहे अष्टम सात दिवसीय भागवत कथा के दूसरे दिन रविवार को चित्रकुट से आये कथावाचक आचार्य बालव्यास पंडित Vivek Maharaj ने भागवत मंगलाचरण, भीष्म स्तुति, कुन्ती स्तुति, परीक्षित जन्म व श्राप लगने की कथा का विस्तार से श्रवण कराते हुए कहा कि आज का मनुष्य अपने दुखों से दुखी नहीं है। वह अपने निकटवर्ती के सुख से दुखी हैं।
क्योंकि अहमता और ममता ही बंधन का कारण है। श्री हरि गोबिन्द सेवा समिति और जेके पांडा इकोसिटी, गालुडीह द्धारा आयोजित कथा के दौरान दोपहर में 1 से शाम 4 बजे तक Vivek Maharaj ने भीष्म स्तुति को सुनाते हुए कहा कि 18 दिन भीष्म पितामह बाणों की शैय्या पर पड़े रहे क्योंकि करतम् सौ भोगतम् अर्थात जो जैसा करेगा उसे फल भी वैसा मिलेगा। मनुष्य इस मृत्युलोक में आकर श्रेष्ठ कर्मों के माध्यम से अपने जीवन को मंगलमय बना लेता है।
जो उसका मंगलाचरण बन जाता है। महर्षि वेदव्यास ने श्रीमद्भागवत के मंगलाचरण में सत्य की वंदना की है। इस अवसर पर प्रमुख रूप से गोविन्द राम सरोज, श्रीराम सरोज, हरिओम सरोज, नंद जी सिंह, दिलीप सिंह, रवि सिंह आदि भक्तगण उपस्थित थे।
मनुष्य का एक मात्र धर्म भक्ति है: Vivek Maharaj
महर्षि वेदव्यास ने जगत को उपदेश करते हुए कहा कि सारा जगत स्वप्न के समान है। जिस प्रकार नेत्र खुलते ही स्वप्न टूट जाता है उसी प्रकार इस जगत का स्वप्न नेत्र बंद होते ही टूट जाता है। क्योंकि ये मनुष्य तन पंचायती धर्मशाला है। जो पांच तत्वों द्वारा रचित हैं। जिस दिन किराया पूरा हुआ उसी दिन खाली करके जाना पड़ेगा।
इसलिए हम इसके मालिक नहीं है मालिक केवल श्रीहरि है। कथा के माध्यम से आचार्य जी ने बताया कि मानव मात्र के लिए धर्म क्या है। मानव मात्र का केवल और केवल एक ही धर्म है भक्ति के द्वारा श्री बांके बिहारी जी की शरण में स्थान पाना।
जितने भी शस्त्र हैं, पुराण हैं, गीता हैं, ये सब एक ही वाणी बोलते हैं कि जीव का इस जगत में एक ध्येय है भगवान की प्राप्ति। यही धर्म है यही मोक्ष है। कथा के दौरान राधे-राधे के उद्घोष से माहौल भक्ति के रस में डूब गया। इस कथा का सीधा प्रसारण वैदिक चेनल तथा आस्था चेनल पर भी हुआ, जो 23 फरवरी तक रोजाना होगा।
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