गिरिडीह: बराकर नदी के तट पर नवनिर्मित ऋजुबालिका मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शुक्रवार को सप्ताहव्यापी कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। भव्य मंदिर परिसर में महावीर स्वामी का पूरा साम्राज्य नजर आ रहा है। नंदप्रभा परिवार की ओर से बनवाए गए इस मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर शुरू हुए कल्याणक में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग पहुंचे हैं।
कल्याणक को लेकर मंदिर को भव्य ढंग से सजाया गया है। जैन धर्म के अनुयायियों के अनुसार, बराकर नदी के तट पर ही महावीर स्वामी को कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ था। यही वह जगह है, जहां ज्ञान प्राप्त होने के बाद करीब 12 वर्ष उन्होंने साधुओं की तरह बिता दिए। ज्ञान प्राप्ति स्थल पर पूर्व से एक मंदिर है, जिसके पीछे इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है।
मान्यता है कि ज्ञान प्राप्ति के बाद महावीर स्वामी के चरण कभी धरती पर नहीं पड़े। यही वजह है कि जैन धर्म को मानने वाले लोग स्वर्णकमल पर पड़े महावीर स्वामी के पदचिह्नों की आराधना करते हैं।
नाटक के जरिए जीवंत की भगवान महावीर की जीवनी: कार्यक्रम को लेकर पहले दिन से भगवान महावीर की जीवनी नाटक के जरिए प्रस्तुत की जा रही है। मंदिर का निर्माण करवाने वाले परेशभाई नंदलाल साह इसमें राजा सिद्धार्थ का किरदार निभा रहे हैं। पहले दिन नाटक के मंचन से महावीर के जन्म के पूर्व की स्थिति का वर्णन किया गया।
कार्यक्रम के आयोजन को लेकर मंदिर के बगल में ही भव्य मंडप बनाया गया है। बेहतर लाइटिंग और साज-सज्जा के बीच महावीर स्वामी की जीवनी प्रस्तुत कर कलाकारों और समाज के लोगों ने मौजूद लोगों को रोमांचित कर दिया। अगले आठ दिनों तक लगातार नाटक का मंचन किया जाएगा। सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक यह कार्यक्रम चलेगा। शाम में छह बजे से करीब साढ़े आठ बजे तक अलग धार्मिक अनुष्ठान होंगे। सात दिसंबर को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी, जबकि नौ दिसंबर को द्वार का उद्घाटन किया जाएगा।
14 वर्षों की मेहनत का परिणाम है यह मंदिर: इस मंदिर का निर्माण करीब दो सौ करोड़ रुपये की लागत से कराया गया है। 14 वर्षों से निर्माण कार्य चल रहा था। अब जाकर प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही इसके दर्शन का अवसर श्रद्धालुओं को मिल सकेगा। समारोह में हिस्सा लेने के लिए यूएस, न्यूयार्क से आए निवांत सेठ ने बताया कि भगवान महावीर की ज्ञान भूमि की अब पूरी दुनिया में एक अलग पहचान होगी। उन्होंने बताया कि आचार्य मुक्तिप्रभ सुरी महाराज के सान्निध्य में इस पूरे कार्यक्रम को आयोजित किया जा रहा है। इसमें शामिल होने पहुंचे सभी लोगों के रुकने-ठहरने की व्यवस्था गिरिडीह में ही अलग-अलग जगहों पर की गई है। आठ दिन तक सभी लोग सपरिवार इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। यहीं सभी के भोजन आदि की भी व्यवस्था है।
देश के कोने-कोने से पहुंचे लोग: कल्याणक में हिस्सा लेने के लिए राजकोट से आए जयकांत प्राणलाल साह, अनिल मनसुख साह, मुंबई से आए परेश भाई सापरिया, राजकोट से आए प्रकाश भाई साह, हेमंत भाई इंदुलाल साह समेत अन्य ने बताया कि नंदप्रभा परिवार की ओर से ही गुजरात के पालिताणा में भी भगवान महावीर का एक मंदिर 2004 में बनवाया गया है, लेकिन बराकर तट पर बना यह मंदिर उससे सौ गुणा अधिक भव्य है। श्रद्धालुओं ने बताया कि करीब पांच हजार से अधिक लोग इस आयोजन का गवाह बनने पहुंचे हैं।
एक तो विहंगम छटा, उसपर मन मोह रही कारीगरी: बराकर नदी के तट पर बने इस मंदिर की भव्य कारीगरी हर आने-जाने वाले लोगों का ध्यान खींच रही है। वहीं प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर मंदिर परिसर में बराकर तट पर बालुओं से खूबरसूरत आकृति बनाई गई है। नदी किनारे लकड़ी की एक विशाल नौका तैयार की गई है। मंदिर परिसर में ही लकड़ियों और थर्मोकोल से छाेटे-छोटे अलग गांव बसाए गए हैं, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे।