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आस्था का महापर्व परिवार की अखंडता का देता संदेश

by Rakesh Pandey
आस्था का महापर्व परिवार की अखंडता का देता संदेश
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धनबाद : नहाय-खाय के साथ शुक्रवार से चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो गया। हर घर में खूब उत्साह है। माताएं अपने संतान की सुखद जीवन, परिवार की समृद्धि के लिए छठ पूजा कर कर रही हैं। कुम्हारपट्टी मनईटांड़ का चौरसिया परिवार का हर सदस्य भी इस महापर्व का साक्षी बन रहा है। यहां सबसे महत्वपूर्ण यह है कि दो-चार नहीं बल्कि परिवार के 90 सदस्य एक साथ उदीयमान एवं अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे। विश्वनाथ चौरसिया की चार पीढ़ी इस पूजा में शामिल हो रही है। इस परिवार की सबसे छोटी सदस्य तीन वर्ष की छुटकी भी शुक्रवार को कद्दू-भात के समय अपनी क्षमता के अनुरूप बड़ी मम्मी की मदद करते दिखी। दो दशक से एक दिन एक साथ भगवान भास्कर को परिवार के 90 लोग अर्घ्य देते हैं।

आस्था का महापर्व परिवार की अखंडता का देता संदेश

विश्वनाथ चौरसिया के छह बेटों एवं बेटी के 90 सदस्य प्रत्येक वर्ष जुटते हैं। छठ महापर्व में संयुक्त परिवार का एक अनूठा उदाहरण यहां देखने को मिलता है। सबसे बड़ी बात है कि दिल्ली, रांची और काेलकाता रहने वाले घर के सदस्य छठ महापर्व के लिए घर पहुंचते हैं। सबसे पहले घर की बुजुर्ग माला देवी छठ व्रत करती थीं। इसके बाद इन्होंने अपनी बेटी 40 वर्षीय ममता देवी को व्रत दे दिया। ममता देवी की शादी झरिया में हुई है, लेकिन वो मनईटांड़ आकर व्रत करती हैं। इन्हें देखकर घर की बहुएं अंजू देवी और स्वीटी भी छठ व्रत करने लगीं। अब घर की तीन सदस्य छठ व्रत करती हैं और शेष इस पूजा में शामिल होते हैं। रांची से रवि चौरसिया, जमुई बिहार से रवींद्र और दिल्ली से किशोर चौरसिया इस पर्व के लिए विशेष रूप से अपने परिवार समेत पहुंच चुके हैं। इस समय छठ पूजा को लेकर विश्वनाथ चौरसिया के छह बेटों जमुना प्रसाद चौरसिया, शंकर चौरसिया, शंभू, अरुण एवं गौतम चौरसिया समेत 47 भाई-बहन-बहु राजीव चौरसिया, दिलीप, प्रदीप, महेश चौरसिया, संजीव, आशीष, रंजीत, आयुष, अमर, बबलू, कृष्णा, नंदिनी, संगीता, पुष्पा, पूजा, संगीता चौरसिया, शालू और 20 से अधिक बच्चे पूजा के लिए जुटे हैं।
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हर वर्ष हमारा पूरा परिवार एकजुट होता है। चार दिन कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता। सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी यही परंपरा चलती आ रही है। जो लोग बाहर रहते हैं वो भी इसमें शामिल होते हैं। सभी मिलजुल कर एक जगह पूजा करते हैं। खासकर खरना पूजा का नजारा देखने लायक होता है।
– अंजू देवी, छठ व्रती कुम्हारपट्टी मनईटांड़
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पहले घर की बुजुर्ग माला देवी छठ किया करती थीं, अब हम कर रहे हैं। पहले से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है। मतलब पूरा परिवार साथ लेकर हम चल रहे हैं। परिवार में सदस्यों की संख्या बढ़ते-बढ़ते आज 90 से अधिक हो चुकी है। बावजूद सभी छठ में अवश्य जुटते हैं। सभी सदस्य एक जगह जमीन पर बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के लिए भी सभी एक ही घाट पर जुटते हैं
– ममता देवी, छठ व्रती कुम्हारपट्टी मनईटांड़
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छठी मैया सभी प्राणियों पर समान रूप से कृपा करती हैं। इस पर्व को एक सामाजिक समरसता के परिचय के रूप में स्वीकार किया जाता है। हमारा परिवार भी इसी उद्देश्य को लेकर एकजुट होता है। छठ पूजा एकमात्र ऐसा पर्व है जो परिवार के हर सदस्य को जोड़ता है। घाट पर सभी एक साथ बैठकर पूजा पाठ करते हैं।
– स्वीटी चौरसिया, छठ व्रती कुम्हारपट्टी मनईटांड़

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