पटना : बिहार सरकार ने पंचायतों के सरपंचों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत अब पंचायतों में सरपंच वंशावली नहीं बना सकेंगे। बिहार में बढ़ते भूमि विवाद के मामलों को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है। मिल रही सूचनाओं के अनुसार बिहार में सरपंचों की मिली भगत से धड़ल्ले से गलत तरीके से वंशावली बनाकर जमीनों की हेराफेरी हो रही थी।
हर दिन ऐसे मामले प्रखंडों में सर्किल ऑफिसरों के सामने आ रहे थे। यहां इसका निबटारा नहीं होने से लोग जिला मुख्यालयों की दौड़ लगाने को मजबूर थे।
मुख्यमंत्री के जनता दरबार में आ रहे थे भूमि विवाद के अधिक मामले
मुख्यमंत्री के जनता दरबार में सबसे ज्यादा भूमि विवाद के मामले पहुंच रहे थे। इन मामलों को देखते हुए बिहार सरकार ने यह निर्णय लिया है। अधिकारों में कटौती से अब जमीन के फर्जीवाड़ों के मामलों में कमी आयेगी।
क्या हैं बिहार सरकार के दिशा-निर्देश?
बिहार सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देश में सरकार ने कहा है कि सरपंच और ग्राम कचहरी द्वारा बनायी गयी वंशावली कही भी मान्य नहीं होगी। इस संबंध में पंचायत राज विभाग ने सभी जिलाधिकारी को पत्र जारी किया है। साथ ही यह निर्देश दिया है कि राज्य में जहां कहीं ग्राम कचहरी और सरपंच द्वारा वंशावली बनायी जा रही है, उसपर तत्काल रोक लगायी जाये। इससे संबंधित सभी जिला अधिकारियों (DM) को पत्र भेजा गया है। सरकार का मानना है कि इस पहल से भूमि विवाद के मामले कम होंगे।
ये हैं सरपंचों के अधिकार
पंचायती राज विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी आलोक कुमार ने पत्र जारी कर बताया है कि बिहार पंचायत राज अधिनियम की धारा 2006 की धारा 90 से 120 तक में ग्राम कचहरी एवं उनके न्यायपीठों की स्थापना, शक्तियां, कर्तव्य और प्रक्रिया के बारे में प्रावधान है। ग्राम कचहरी का गठन ग्राम पंचायत स्तर पर होने वाले छोटे-मोटे विवादों का सौहार्दपूर्ण निबटारा करना है।
बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 एवं बिहार कचहरी संचालन नियामावली 2007 में फौजदारी एवं दीवानी मामलों को छोड़कर अन्य किसी तरह के कार्य करने की जिम्मेदारी सरपंच को नहीं है। यहां यह साफ कर दिया गया है कि सरपंच और ग्राम कचहरी को वंशावली बनाने का कोई अधिकार नहीं है।
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क्या है प्रावधान :
बिहार ग्राम पंचायत नियामावली 2011 के नियम 10(21) में प्रावधान है कि पंचायत सचिव पंचायत में एक पारिवारिक पंजी रखेगा। जिसमें पंचायत के हर व्यक्ति के संबंध में आवश्यक विवरण दर्ज किया जायेगा। आवश्यकता पड़ने पर यह पारिवारिक पंजी वंशावली बनाने का आधार बन सकता है। यह जिम्मेदारी ग्राम पंचायत सचिव को है।
क्यों लोग बना रहे वंशावली :
वंशावली का उपयोग अक्सर पैतृक जमीन के मामले में अधिक होता है। वंशावली पैतृक भूमि को रैयतों के नाम से स्थानांतरित करने में काफी उपयोगी होता है। वंशावली बनाने के बाद स्पष्ट होता है कि रैयत जिस भूमि पर स्वामित्व का दावा कर रहा है वह उस परिवार का सदस्य है।