श्रीनगर : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक पेश किया। विपक्षी दलों के विरोध के बीच इस बिल को पेश करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उनकी सरकार कश्मीरी हिंदुओं और गुलाम जम्मू कश्मीर के विस्थापितों के लिए राजनीतिक सशक्तीकरण की नींव भी तैयार कर दी है।
इन विधेयकों के कानूनी जामा पहनने के बाद राज्य की विधानसभा में सीटों की संख्या बढ़ कर 114 हो जाएगी। विधानसभा में पहली बार विस्थापित कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए क्रमश: दो और एक सीटें आरक्षित होंगी।
इन्हें उपराज्यपाल नामित करेंगे। नामित करने के दौरान महिला वर्ग से एक प्रतिनिधि सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा। अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीटें आरक्षित की गई हैं, जबकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 6 से बढ़ा कर 7 कर दी है।
कश्मीरी हिंदू उम्मीदवार के लिए चुनाव जीतना लगभग असंभव:
कश्मीरी हिंदू निरंतर जम्मू कश्मीर विधानसभा में अपने लिए आरक्षण की वकालत करते रहे हैं, ताकि उनके सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और वैधानिक हितों का संरक्षण कर सकें। कश्मीर में बेशक कई क्षेत्रों में कश्मीरी हिंदुओं की अच्छी खासी संख्या रही है, लेकिन कुछ अपवादों को छोड़ दें तो कश्मीरी हिंदू उम्मीदवार के लिए चुनाव जीतना लगभग असंभव ही है।
कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं की आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र माने जाने वाले हब्बाकदल क्षेत्र में भी अंतिम बार वर्ष 2002 में ही एक कश्मीरी हिंदू ने चुनाव जीता था। उस समय उसे पीडीपी व अन्य दलों का समर्थन रहा था। उससे पहले के चुनावों में भी बमुश्किल दो से तीन कश्मीर हिंदू उम्मीदवारों चुनाव जीतने में सफल रहे। लेकिन नए बिल से अब कश्मीर विधानसभा में अब हिंदू विधायकों की संख्या बढ़ सकती है
गृह मंत्री ने कहा कश्मीरी हिंदुओं को मिलेगी आवाज:
बिल पास होने के बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा में आतंकी हिंसा के कारण अपने घर से बेघर हुए कश्मीरी हिंदुओं को भी आवाज मिल सकेगी। बिल के अनुसार विधानसभा में दो कश्मीरी हिंदू सदस्य नामित किए जाएंगे और उसमें से एक महिला होगी। इससे वह जम्मू कश्मीर की विधानसभा में ही नहीं विधानसभा के बाहर भी सशक्त होंगे।
आरक्षण विधेयक के तहत देश के दूसरे राज्यों की तरह ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी ओबीसी, एससी, एसटी और सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण की व्यवस्था की गई है। इस संबंध में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल से कश्मीरी हिंदुओं को आवाज मिलेगी।
जानिए अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में क्या था खास:
अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू–कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार की मंजूरी लेनी होती थी। भारत की संसद जम्मू–कश्मीर के संबंध में सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती थी। अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू–कश्मीर राज्य पर भारतीय संविधान की अधिकतर धाराएं लागू नहीं होती थीं। भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू–कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे। केंद्रीय सूचना का अधिकार अधिनियम भी इस सूबे में लागू नहीं होता था।