Home » भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों और वित्तीय बाजारों को नियंत्रित करता है सेबी? जानें क्या हैं इसके कार्य और अधिकार…

भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों और वित्तीय बाजारों को नियंत्रित करता है सेबी? जानें क्या हैं इसके कार्य और अधिकार…

by Rakesh Pandey
भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों और वित्तीय बाजारों को नियंत्रित करता है सेबी
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

बिजनेस डेस्क। अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो आप सेबी के बारे में अवश्य जानते होंगे या सुने होंगे। सेबी यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, एक नियामक निकाय है, जो भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों और वित्तीय बाजारों को नियंत्रित करता है। यह भारतीय वित्तीय बाजारों में स्टॉक एक्सचेंज, स्टॉक, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड और लगभग हर दूसरे वित्तीय उत्पाद और खिलाड़ी सेबी द्वारा नियंत्रित होते हैं।

12 अप्रैल 1992 को हुई थी सेबी की स्थापना

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) एक वैधानिक नियामक निकाय है। सेबी का उद्देश्य शेयर भारतीय वित्तीय बाजार को निष्पक्ष और सुरक्षित करना था। सेबी की स्थापना के बाद नए कानूनों, नियमों और दिशा-निर्देश के माध्यम से बहुत से सुधार कार्य हुए। सेबी समय-समय पर नए नियम लाता है। यह शेयर बाजार में सुधार करता है, ताकि भारतीय वित्तीय बाजार निवेशकों के लिए सुरक्षित हो सके। कई डेवलपमेंट के बाद आज कोई भी व्यक्ति घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से खुद शेयर बाजार में निवेश कर सकता है। इसके अलावा, यह शेयर बाजार की नियामक प्रणाली को मजबूत करता है। यह भारतीय सिक्योरिटी मार्केट में मजबूती प्रदान करता है, जो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की ओर अधिक निवेशकों को आकर्षित करता है। सेबी एक शक्तिशाली निकाय है, जो स्टॉक एक्सचेंजों और पूंजी बाजार में धोखाधड़ी के जोखिमों को कम करता है। सेबी की स्थापना 12 अप्रैल 1992 को सेबी अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के तहत की गई थी। सेबी का मुख्यालय मुंबई में है और नई दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और अहमदाबाद में क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ-साथ पूरे भारत में अतिरिक्त क्षेत्रीय कार्यालय मौजूद हैं।

क्या हैं सेबी का कार्य?
सेबी वैधानिक संस्था होने के बाद इसके पास कई महत्वपूर्ण कार्य करने की शक्तियां प्राप्त हो गईं। सेबी 1992 अधिनियम में नियामक निकाय में निहित ऐसी शक्तियों की एक सूची दी गई है। सेबी एक्ट के अनुच्छेद 11 में सेबी के कार्य को मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। सेबी के तीन मुख्य कार्य होते हैं, जिसमें सुरक्षात्मक कार्य, विनियामक कार्य और विकासात्मक कार्य शामिल हैं। सुरक्षात्मक कार्य का उद्देश्य मुख्य रूप से वित्तीय बाजारों में व्यवसाय के कामकाज पर नजर रखना है। यह शेयर मूल्यों के हेराफरी की जांच करता है, इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकता है। निष्पक्ष शेयर के लेन-देन को बढ़ावा देता है।

निवेशकों को जागरूक करता है सेबी
विनियामक कार्य निवेशकों को जागरूक करता है और धोखाधड़ी एवं अनुचित तरीके से प्रतिभूति के लेनदेन को रोकता है। इस कार्य के अंतर्गत सेबी निवेशकों तथा अन्य वित्तीय प्रतिभागियों के हितों की रक्षा करता है। यह वित्तीय मध्यस्थों और कॉर्पोरेट को उचित तरीके से काम करने का दिशा निर्देश देता है और आचार संहिता का निर्माण करता है। प्रतिभूति के लेनदेन की जांच और ऑडिट करता है। एक प्लेटफॉर्म की व्यवस्था प्रदान करता है, जहां पर पोर्टफोलियो मैनेजर, बैंकर, स्टॉकब्रोकर, निवेश सलाहकार, मर्चेंट बैंकर, रजिस्ट्रार, शेयर ट्रांसफर एजेंट और अन्य लोग एक साथ लेनदेन कर सकें।

विकास कार्यों के लिए प्रतिबद्ध
सेबी के प्रमुख कार्यों में से विकास करना भी शामिल है। विकासात्मक कार्यों में यह ब्रोकर्स को प्रशिक्षण देता है। इसके अलावा, निवेशक को निवेश के बारे में शिक्षित करना, अनुसंधान का संचालन करना और शेयर बाजार के प्रतिभागियों व सभी के लिए उपयोगी जानकारी प्रकाशित करना, उचित लेनदेन को बढ़ावा देना, स्व-विनियमन (सेल्फ रेगुलेटरी) संगठनों को प्रोत्साहित करना, ब्रोकर के माध्यम से या सीधे म्यूचुअल फंड खरीदना और बेचना, निष्पक्ष लेनदेन को बढ़ावा देना और धोखाधड़ी को संज्ञान में लेना और उचित कार्रवाई करना, सेबी के प्रमुख कार्य हैं।

सेबी का गठन क्यों किया गया था?
1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक में, भारतीय नागरिकों के बीच पूंजी बाजार एक नई सनसनी बन गया। अनौपचारिक स्वयंभू मर्चेंट बैंकर, अनौपचारिक निजी प्लेसमेंट, मूल्य हेराफेरी, कंपनी अधिनियम का गैर-अनुपालन, स्टॉक एक्सचेंज नियमों और विनियमों का उल्लंघन, शेयरों की डिलीवरी में देरी और कीमतों में हेराफेरी सहित कई दुरुपयोग होने लगे। इनके परिणामस्वरूप, निवेशकों का शेयर बाजार से विश्वास कम होने लगा। सरकार को श्रम को विनियमित करने और इन दुर्व्यवहारों को रोकने के लिए एक प्राधिकरण स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता महसूस हुई। नतीजतन, सरकार ने सेबी की स्थापना की।

सेबी के अधिकार व शक्तियां
सेबी को अधिनियम 1992 के तहत बहुत से अधिकार प्राप्त हैं। कई पावर के जरिए सेबी भारतीय वित्तीय बाजार को सुचारू और सशक्त रूप से संचालित कर सकता है। सेबी को अधिनियम 1992 के तहत बहुत-सी शक्तियां प्राप्त हैं, जिससे सेबी भारतीय वित्तीय बाजार को सुचारू और सशक्त रूप से संचालित कर सके। इन शक्तियों के अंतर्गत प्रतिभूति बाजार में कोई धोखाधड़ी और अनैतिक व्यवहार करता है, तो सेबी के पास निर्णय लेने की शक्ति है। अगर कोई व्यक्ति, कॉर्पोरेट या संस्था सेबी को नियमों, दिशा-निर्देश और निर्णयों को उल्लंघन करता है, तो सेबी उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार रखता है। यदि यह नियमों के किसी भी उल्लंघन के लिए आता है, तो यह पुस्तकों के खातों और अन्य दस्तावेज़ों का निरीक्षण करने के लिए अधिकृत है। सेबी के अध्यक्ष के पास “खोज और जब्ती संचालन” का आदेश देने का अधिकार है। सेबी बोर्ड किसी भी प्रतिभूति लेनदेन के संबंध में किसी भी व्यक्ति, कॉर्पोरेट, संस्थाओं से टेलीफ़ोन कॉल डेटा रिकॉर्ड या अनुबंध दस्तावेज जैसी जानकारी भी मांग सकता है। सेबी निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नियमों और विनियमों को लागू करने का अधिकार रखता है।

READ ALSO : बिहार सरकार के पूर्व कल्याण मंत्री गोवर्धन नायक का निधन

Related Articles