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Srijan Samvad :‘युद्ध के विरुद्ध’ श्रृंखला में लीलाधर मंडलोई ने सुनाईं कविताएं

Srijan Samvad : डॉ. विजय शर्मा ने विषय परिचय देते हुए वनमाली सृजन पीठ से जुड़े लीलाधर मंडलोई से अपने मिलने, उनके द्वारा अपनी पुस्तकें (ज्ञानपीठ एवं वाणी से) प्रकाशित करने की बात बताई।

by Anurag Ranjan
Leeladhar Mandloi recites anti-war poems at Srijan Samvad event under 'Yudh ke Viruddh' series
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जमशेदपुर : साहित्य, सिनेमा एवं कला संस्था ‘सृजन संवाद’ ‘युद्ध के विरुद्ध’ नाम से एक श्रृंखला चला रही है। शनिवार को इसकी 152वीं संगोष्ठी हाइब्रिड मोड में हुई। सुबह 11 बजे से स्ट्रीमयार्ड तथा फेसबुक लाइव पर दिल्ली से प्रसिद्ध कवि लीलाधर मंडलोई ने अपने नवीनतम काव्य संग्रह से कविता पाठ किया। द्वितीय सत्र में सदस्य भौतिक रूप से जुड़े और ‘युद्ध एवं सिनेमा’ पर चर्चा हुई। संचालन यायावरी वाया भोजपुरी फ़ेम के वैभव मणि ने किया। डॉ. विजय शर्मा ने स्वागत व धन्यवाद ज्ञापन किया।

डॉ. विजय शर्मा ने विषय परिचय देते हुए वनमाली सृजन पीठ से जुड़े लीलाधर मंडलोई से अपने मिलने, उनके द्वारा अपनी पुस्तकें (ज्ञानपीठ एवं वाणी से) प्रकाशित करने की बात बताई। बताया कि वे दूरदर्शन, भारतीय ज्ञानपीठ, जैसे संस्थानों में सर्वोच्च पद पर रह चुके हैं। उन्होंने फ़ेसबुक लाइव के श्रोताओं-दर्शकों का भी स्वागत किया।

वैभव मणि त्रिपाठी ने अतिथि के परिचय में बताया कि अब तक उनके 9 कविता संग्रह, आत्मकथा, 5 काव्य चयन, 6 डायरी, 3 बच्चों की किताब, 8 संपादित कृतियां, 3 निबंध संग्रह प्रकाशित हैं। कई प्रमुख पदों पर रहने के पश्चात अभी वे वनमाली सृजन पीठ, दिल्ली के सह निदेशक व अध्यक्ष हैं। विश्व कविता की ‘धरती के जख्म’ नाम से उनकी नवीनतम कृति है। यहां उन्होंने विश्व कविता से 35 कवियों की कविताओं का अनुवाद किया है।

कवि लीलाधर मंडलोई ने जापानी, चीनी, जर्मन भाषा के कवियों, जैसे बर्तोल्त ब्रेख्त, महमूद दरवेश, वांग पेंग, सून युंग शिन की कविताओं का पाठ किया। ये कविताएं युद्धोत्तर काव्य संवेदना का मार्मिक चयन हैं। युद्ध एवं निर्वासन से प्रभावित कवियों का धरती तथा मनुष्यता के पक्ष में हस्तक्षेप करती कविताएं लोक चेतावनी के शिल्प में हैं।

फ़ेसबुक लाइव में जमशेदपुर से डॉ. संध्या सिन्हा, डॉ. ऋचा द्विवेदी, डॉ. क्षमा त्रिपाठी, डॉ. नेहा तिवारी, आभा विश्वकर्मा, बेंगलुरु से पत्रकार अनघा मारीषा, माया मेहरा, रेहमान मुसाविर, रांची से कथाकार कमलेश आदि जुड़े।

द्वितीय सत्र में ‘युद्ध एवं सिनेमा’ पर चर्चा करते हुए हेमिंग्वे लिखित ‘फ़ॉर हूम द बेल टॉल्स’, ‘ए फ़ेरवेल टू आर्म्स’, गॉन विद द विंड’, ‘सोफ़ी’ज च्वाइस’, ‘बॉय इन स्ट्राइप्ड पाजामाज’, ‘अटोनमेंट’, ‘पिंजर’, ‘द बेटल ऑफ़ एल्जीरियाज’, ‘लाइफ़ इज ब्यूटीफ़ुल’ आदि फ़िल्मों की चर्चा हुई। यह भी कहा गया कि बॉलीवुड में युद्ध पर शायद ही कोई अच्छी फ़िल्म बनती है। ‘डॉक्टर जिवागो’, ‘द थिन रेड लाइन’ आदि फ़िल्मों पर बात हुई।

इसमें डॉ. ऋचा द्विवेदी, डॉ. क्षमा त्रिपाठी, डॉ. प्रियंका सिंह, अंजु कुमारी, वैभव मणि त्रिपाठी, आभा विश्वकर्मा, अजय महताब, अंकित राणा आदि ने भाग लिया। सृजन संवाद की 154वीं गोष्ठी की तारीख एवं विषय की घोषणा जल्द की जाएगी।

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