प्रयागराज : जब अरब में ‘वक्फ’ की कल्पना का जन्म भी नहीं हुआ था, उसके लाखों वर्ष पहले से कुंभ मेले का आयोजन गंगा, यमुना एवं सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी संगम पर हो रहा है। जहां कुंभ बसता है, वह गंगाजी का क्षेत्र है। जो गंगाजी की प्राकृतिक भूमि है, वह वक्फ की कैसे हो सकती है? मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कुंभ मेला स्थल पर स्थित 54 बीघा भूमि पर वक्फ का दावा किया है। यह अत्यंत निंदनीय है, हिंदू जनजागृति समिति इसका कड़ा विरोध करती है। यह दावा न केवल निराधार है, अपितु कुंभ मेला के पवित्र वातावरण को बिगाड़ने और सनातन धर्म के अनुयायियों की आस्था पर आघात करने का एक सुनियोजित प्रयास है, ऐसा प्रतिपादन हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने पत्रकार वार्ता में किया।
इस समय सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस तथा समिति के कुंभ अभियान समन्वयक आनंद जाखोटिया भी उपस्थित थे।
सद्गुरु डॉ. पिंगळे ने आगे बताया कि हम प्रदेश की सरकार से अपील करते हैं कि वह कुंभ मेला के पवित्र वातावरण को बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाए तथा सनातनियों की आस्था को ठेस पहुंचानेवाले मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए।
वक्फ सुधार अधिनियम के लिए स्थापित संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष हिंदू पक्ष की भूमिका प्रस्तुत करने वाले सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस ने बताया कि मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी के अनुसार वक्फ की भूमि पर कुंभ मेले का आयोजन होने देना, मुस्लिम समुदाय की उदारता है, तो हम उनसे पूछना चाहते हैं कि ऐसी उदारता रामजन्मभूमि पर बाबर द्वारा किए अतिक्रमण के उपरान्त मुस्लिम समुदाय ने क्यों नहीं दिखाई? आज भी काशी, मथुरा, संभल इत्यादि 15,000 मंदिर इस्लामिक अतिक्रमित हैं। उनके संदर्भ में यह उदारता क्यों नहीं दिखाई? कुंभ क्षेत्र को वक्फ की भूमि मानने वालों का कुंभ क्षेत्र में प्रवेश वर्जित करना चाहिए, ऐसी हम मांग करते हैं।