सेंट्रल डेस्क: Fake SBI Branch: फर्जीवाड़ा करने वालों का दिमाग कहां-कहां तक जा सकता है, कहा नहीं जा सकता। ऐसे फर्जीवाड़े किए जाते हैं जिसके बारे में दूर-दूर तक कोई सोच भी नहीं सके। छतीसगढ़ के एक गांव में ऐसा ही एक फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इस गांव में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का एक ब्रांच है। आप सोचेंगे इसमें नया क्या है। दरअसल यह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच नहीं बल्कि फर्जी शाखा है।
लोगों को यकीन दिलाने के कर रखे थे उपाय
फर्जीवाड़ा में माहिर खिलाड़ियों ने इस फेक ब्रांच में सबकुछ असली कर रखा था। यहां तक कि कर्मचारियों की भी भर्ती कर रखी थी। असली बैंक को इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिल गई। बैंक अधिकारियों द्वारा पुलिस में शिकायत किए जाने के बाद मामला प्रकाश में आया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इस नकली ब्रांच को सील कर दिया है। छतीसगढ़ के सक्ति जिले के छपोरा गांव में यह SBI की फर्जी ब्रांच खोली गई थी।
छह लोगों ने मिलकर खोल रखा था ब्रांच
यहां वैभवी कॉम्प्लेक्स में 6 लोगों ने मिलकर इस ब्रांच को खोल रखा था। ब्रांच के नाम के बैनर-पोस्टर भी जगह-जगह लगाए गए थे। बाकायदा बैंक के ब्रांच जैसे काउंटर भी बनाए गए थे। कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई, ताकि ब्रांच 100 फीसदी असली लगे। खाता खुलवाने और लेनदेन के लिए ग्रामीणों ने ब्रांच आना-जाना भी शुरू कर दिया। नए-नए कर्मचारी SBI जैसी बहुप्रतिष्ठित संस्थान में नौकरी पाकर खुश थे।
असली बैंक के मैनेजर को हुआ शक, खुल गई पोल
इस नकली ब्रांच में सबकुछ सहज तरीके से चल रहा था। लेकिन 27 सितंबर को फर्जी ब्रांच की नजदीकी शाखा के मैनेजर को शक हुआ। तब पुलिस व बैंक के कुछ अधिकारी पूछताछ के लिए बैंक पहुंचे। पूछताछ के दौरान पता चला कि छपोरा की ब्रांच नकली है औऱ यहां काम करने वाले कर्मचारी भी नकली है। फर्जी ब्रांच के मामले में पुलिस अधिकारी राजेश पटेल ने बताया कि डबरा शाखा के मैनेजर ने हमें छपोरा में चल रहे एक फर्जी बैंक के बारे में बताया। जांच में पता चला कि ब्रांच फर्जी है और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही इनकी नियुक्ति की गई थी। पुलिस ने बताया कि आऱोपी एक-दूसरे के रिश्तेदार मालूम होते है।
रखे गए लोगों को दिए गए असली ऑफर लेटर
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि फेक ब्रांच में नौकरी पर रखे गए कर्मचारियों को बकायदा ट्रेनिंग भी दी गई थी। उनके पास बिल्कुल असली दिखने वाले ऑफर लेटर भी थे। इन कर्मचारियों को मैनेजर, मार्केटिंग ऑफिसर, कैशियर और कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे पदों पर रखा गया था।
नौकरी का झांसा देकर वसूली करता था मास्टरमाइंड
इन कर्मचारियों से भी 2 से 6 लाख रुपये तक भुगतान कराए गए थे। इस पूरे प्रकरण का जो मास्टरमाइंड था, वो बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर उनसे मोटी रकम वसूलता था। यह नकली ब्रांच गांव के ही एक निवासी तोष चंद्र के किराए के कॉम्प्लेक्स में चल रहा था, जिसका किराया 7000 रुपये प्रतिमाह था।