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Supreme Court decision on State bills approval : सुप्रीम कोर्ट से तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि को झटका, कहा-10 विधेयकों को मंजूरी नहीं देना अवैध

by Anand Mishra
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि को एक बड़ा झटका देते हुए राज्य सरकार के 10 विधेयकों को मंजूरी न देने के उनके फैसले को “मनमाना और अवैध” करार दिया है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि गवर्नर ने अपनी शक्तियों से परे जाकर काम किया और यह संविधान के खिलाफ था। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि जब विधानसभा से बिलों को फिर से भेजा गया, तो गवर्नर को उन्हें तुरंत मंजूरी देनी चाहिए थी, न कि उन्हें रोकने का कोई कारण था।

राज्यपाल के पास वीटो पावर नहीं

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस फैसले में कहा कि गवर्नर के पास ऐसा कोई वीटो पावर नहीं है कि वह विधेयकों को रोककर रखे और उन पर निर्णय न ले। अदालत ने कहा कि राज्यपाल का यह कदम पूरी तरह गलत था, क्योंकि संविधान में यह कहीं भी नहीं लिखा है कि राज्यपाल बिलों को अनिश्चितकाल तक रोक सकता है। पीठ ने यह भी कहा कि गवर्नर का यह निर्णय “संविधान के अनुच्छेद 200 का उल्लंघन” था और इसे कानूनी रूप से अमान्य करार दिया गया।

एमके स्टालिन को बड़ी जीत

इस फैसले से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को एक बड़ी जीत मिली है, जो लंबे समय से गवर्नर आरएन रवि से संघर्ष कर रहे थे। राज्य सरकार ने यह मामला सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था, और अब अदालत के फैसले के बाद मुख्यमंत्री स्टालिन को उम्मीद है कि अब गवर्नर राज्य सरकार के फैसलों में अड़ंगा नहीं डाल पाएंगे।

गवर्नर की भूमिका की कड़ी आलोचना

सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर की भूमिका पर कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें या तो विधेयकों को मंजूरी देनी चाहिए थी या वापस भेजना चाहिए था, या फिर इन विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजना चाहिए था। गवर्नर के निर्णय को लेकर अदालत ने कहा कि उनका यह कदम संविधान के तहत उनके कर्तव्यों का उल्लंघन था।

मुख्यमंत्री के साथ सहयोग की आवश्यकता

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यपाल का काम संविधान में सीमित किया गया है और उन्हें चुनी हुई सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। यह फैसला राज्यपाल के मनमाने तरीके से विधेयकों को रोकने के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

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