नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे सरकारी नौकरियों के लिए चुने गए उम्मीदवारों के दस्तावेजों की जांच और सत्यापन नियुक्ति की तारीख से छह महीने के भीतर करें। अदालत ने यह आदेश पांच दिसंबर को पारित किया और स्पष्ट किया कि उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि की जांच के बाद ही उनकी नियुक्ति को नियमित किया जाए।
नियुक्ति से पहले सत्यापन जरूरी, आगे की जटिलताओं से बचने के लिए
न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने यह भी कहा कि अगर पृष्ठभूमि सत्यापन में कोई गड़बड़ी सामने आती है, तो वह नियुक्ति प्रक्रिया में आगे की जटिलताओं को जन्म दे सकती है। अदालत ने इस मामले में एक कर्मचारी की सेवानिवृत्ति से ठीक दो महीने पहले बर्खास्तगी को खारिज करते हुए यह महत्वपूर्ण निर्देश दिया।
आदेश का संदर्भ: एक पुराने मामले में सुनवाई
यह आदेश एक पुराने मामले के संदर्भ में दिया गया था, जिसमें याचिकाकर्ता बासुदेव दत्ता ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश को खारिज कर दिया था।
अदालत ने सभी राज्य पुलिस अधिकारियों से कहा कि सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों द्वारा दिए गए दस्तावेजों का सत्यापन नियुक्ति से पहले और नियुक्ति के छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए ताकि किसी भी संभावित समस्या का समाधान किया जा सके।