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घरेलू कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की सुप्रीम सिफारिश, समिति बनेगी

घरेलू कामगारों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और संबंधित मंत्रालय को निर्देश जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि घरेलू कामगार एक आवश्यक कार्यबल हैं और इनके अधिकारों की सुरक्षा होनी चाहिए।

by Anurag Ranjan
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सेंट्रल डेस्क : देश के बड़े असंगठित क्षेत्र में से एक घरेलू कामगारों के अधिकारों की बात लंबे समय से की जाती रही है। अबतक इनके अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए कोई ठोस नियमन नहीं था। इस वजह से घरेलू कामगारों के शोषण की बातें अक्सर सामने आती रही हैं। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान लेने से एक नई उम्मीद की किरण जग रही है। देश की सुप्रीम अदालत ने घरेलू कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा और नियमन के लिए कानून बनाने की सिफारिश की है।

मांगे सुझाव, समिति गठित करने का सुझाव

घरेलू कामगारों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से घरेलू कामगारों के नियमन और सुरक्षा के लिए कानूनी उपाय सुझाने को कहा है और समिति का गठन करने को भी कहा है। यह समिति छह महीने में रिपोर्ट देगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से समिति की सिफारिश के बाद जल्द ही कानून बनाने का प्रयास करने के लिए कहा है।

मंत्रालयों के लिए जारी किए निर्देश

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने घरेलू कामगारों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और संबंधित मंत्रालयों को ये निर्देश जारी किए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घरेलू कामगार एक आवश्यक कार्यबल है और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कोई भी कानून नहीं है। इसमें कहा गया है कि घरेलू कामगार नियोक्ताओं और एजेंसियों द्वारा शोषण, दुर्व्यवहार और तस्करी के प्रति संवेदनशील हैं।

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