पॉलिटिकल डेस्क : अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय महासचिव पद से त्यागपत्र दे दिया। मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के नाम लिखा गया त्यागपत्र शेयर किया है। उन्होंने कहा है कि वह बिना पद के भी पार्टी को मजबूत करने के लिए तत्पर रहेंगे। अपने बयानों को लेकर लगातार भारतीय जनता पार्टी और हिंदुत्ववादियों के निशाने पर रहने वाले सपा के विधान परिषद सदस्य (MLC) स्वामी प्रसाद मौर्य ने भेदभाव का आरोप लगाया है।
जानिए पत्र में क्या कहा (Swami Prasad Maurya)
सपा के विधान परिषद सदस्य मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि उन्होंने पार्टी का जनाधार बढ़ाने का काम अपने तौर-तरीके से जारी रखा और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के ‘मकड़जाल’ में फंसे आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के ‘स्वाभिमान’ को जागने की कोशिश की। मौर्य ने कहा कि इस पर पार्टी के ही कुछ ‘छुटभैये’ और कुछ बड़े नेताओं ने उसे उनका बयान कहकर उनके प्रयास की धार को कुंद करने की कोशिश की।
इस्तीफे पर सपा अध्यक्ष लेंगे निर्णय
सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य के महासचिव पद से इस्तीफे के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। यह भी नहीं पता है कि यह इस्तीफा अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को मिला है या नहीं। इस्तीफे पर अंतिम निर्णय सपा अध्यक्ष के स्तर से ही होगा।
राज्यसभा के टिकट वितरण से चल रहे हैं नाराज
दरअसल, मंगलवार को पूर्व कैबिनेट मंत्री व एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्या ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर दलितों व पिछड़ों को उचित भागीदारी न देने समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं। लेकिन, अंदरखाने माना जा रहा है कि वे राज्यसभा के टिकट वितरण से नाराज चल रहे हैं। उनके इस्तीफे को सपा नेतृत्व पर दबाव की राजनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
यूपी चुनाव से पहले आए थे स्वामी
स्वामी प्रसाद मौर्य ने यूपी चुनाव 2022 से पहले भारतीय जनता पार्टी को अलविदा कहा था। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाज पार्टी से भाजपा पहुंचे थे। स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी में आने के बाद यूपी चुनाव के मैदान में उतरे। हालांकि, अपनी सीट भी बचा पाने में कामयाब नहीं हो पाए। पार्टी महासचिव के पद से इस्तीफे के बाद उन्होंने पत्र में कहा है कि जबसे मैं समाजवादी पार्टी में शामिल हुआ, लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की। सपा में शामिल होने के दिन ही मैंने नारा दिया था- 85 तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है।
भारतीय संविधान निर्माता बाबासाहब डॉ. अंबेडकर का जिक्र करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय की बात उन्होंने की थी। डॉ. राम मनोहर लोहिया कहते थे, सोशलिस्टों ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावै 100 में 60। शहीद जगदेव बाबू और रामस्वरूप वर्मा जी कहते थे, ‘सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग हमारा है’। सामाजिक परिवर्तन के महानायक कांशीराम का नारा ’85 बनाम 15 का’ था।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर साधा निशाना
स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर तंज कसते हुए कहा- “हैरानी तो तब हुई, जब पार्टी के वरिष्ठतम नेता चुप रहने के बजाय मेरे निजी बयान कह करके कार्यकर्ताओं के हौसले को तोड़ने की कोशिश की, मैं नहीं समझ पाया कि एक राष्ट्रीय महासचिव हूं, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है। एक ही स्तर के पदाधिकारियों में कुछ का निजी और कुछ का पार्टी का बयान कैसे हो जाता है, यह समझ के परे है।
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