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कैसी है झारखंड हाईकोर्ट के नव नियुक्त मुख्य न्यायाधीश की न्यायिक यात्रा, हिमाचल से झारखंड तक का सफर

उन्होंने अपने करियर में दीवानी, आपराधिक, संवैधानिक, श्रम और सेवा कानून जैसे विविध क्षेत्रों में प्रैक्टिस की।

by Reeta Rai Sagar
Justice Tarlok Singh Chauhan taking oath as Chief Justice of Jharkhand High Court
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Ranchi: 23 जुलाई 2025 को झारखंड की न्यायपालिका के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने जस्टिस तरलोक सिंह चौहान को झारखंड हाईकोर्ट के 17वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। यह खास आयोजन रांची के राजभवन में हुआ, जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी मौजूद रहे।

इससे पहले, 15 जुलाई को भारत के राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गई थी। जस्टिस तरलोक सिंह हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश रहे हैं। उनके न्यायिक अनुभव और प्रशासनिक दक्षता का लाभ झारखंड हाई कोर्ट भी मिलेगा।


हिमाचल से झारखंड तक: न्याय की यात्रा

जस्टिस तरलोक सिंह चौहान का जन्म 9 जनवरी 1964 को हिमाचल प्रदेश के रोहड़ू में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा शिमला के प्रतिष्ठित बिशप कॉटन स्कूल में हुई, जिसे देश के सर्वोत्तम स्कूलों में गिना जाता है।

कानून की पढ़ाई के लिए उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ का रुख किया और वहीं से लॉ में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 1989 में हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल में वकील के तौर पर पंजीकृत हुए।
उन्होंने अपने करियर में दीवानी, आपराधिक, संवैधानिक, श्रम और सेवा कानून जैसे विविध क्षेत्रों में प्रैक्टिस की। पर्यावरण कानून, बाल कल्याण, और न्यायिक सुधारों जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है।


न्यायिक सफर और अनुभव

2014 में जस्टिस चौहान को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और उसी वर्ष उन्हें स्थायी न्यायाधीश भी बनाया गया।

अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई प्रमुख समितियों का नेतृत्व किया:
• किशोर न्याय समिति
• विधिक सेवा प्राधिकरण
• ई-कोर्ट समिति

उनकी अगुवाई में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में डिजिटल सेवाओं, ई-फाइलिंग, और ऑनलाइन केस मैनेजमेंट जैसे कई नवाचार हुए।


अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व

जस्टिस चौहान ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारतीय न्यायपालिका का गरिमापूर्ण प्रतिनिधित्व किया है। उनकी न्यायिक दृष्टि और डिजिटल सुधारों में रुचि ने उन्हें विशिष्ट स्थान दिलाया है। बच्चों की देखभाल और संरक्षण सेवाओं से जुड़े सुधारों पर 2019 में एक अंतरराष्ट्रीय विनिमय कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए रोमानिया भी गए थे। उनके इस अनुभव को भारत में बाल न्याय प्रणाली की बेहतरी के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया।


झारखंड में न्यायिक नवाचार की नई उम्मीद

अब जब वे झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बन चुके हैं, न्यायपालिका से जुड़े लोगों की उम्मीदें उनसे काफी बढ़ गई हैं। उनके नेतृत्व में झारखंड में भी डिजिटल न्याय प्रणाली, ई-फाइलिंग और न्यायिक सुधारों को नई ऊंचाई मिलने की पूरी संभावना है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर जस्टिस चौहान का स्वागत करते हुए उन्हें झारखंड में न्यायिक सुधारों का नेतृत्व करने के लिए शुभकामनाएं दीं।

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