मुंबई : भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह, टाटा समूह ने पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा के निधन के बाद अपनी पुरानी परंपरा में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब कंपनी रतन टाटा के दृष्टिकोण से अलग एक नए ऑपरेशनल मॉडल की तरह कंपनी को ऑपरेट करने का निर्णय लिया है।
इस बदलाव के तहत टाटा समूह ने अपनी कंपनियों को अपने कर्ज और देनदारियों का प्रबंधन करने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने विशेष रूप से टाटा डिजिटल, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और एयर इंडिया जैसे नए वेंचर्स को अपने वित्तीय दायित्वों को स्वतंत्र रूप से संभालने के लिए कहा है। कंपनियों को कर्जदाताओं को कम्फर्ट लेटर और क्रॉस डिफॉल्ट क्लॉज देने जैसी नियमों को बंद करने का निर्देश दिया गया है।
टाटा का स्वतंत्र वित्तीय प्रबंधन
इस नए दृष्टिकोण के अनुसार, टाटा संस ने बैंकों को भी सूचित किया है कि समूह अब कंफर्ट लेटर्स या क्रॉस-डिफॉल्ट क्लॉज की पेशकश नहीं करेगा। नए उद्यमों के लिए पूंजी आवंटन इक्विटी निवेश और आंतरिक संसाधनों के माध्यम से मैनेज किया जाएगा। टाटा संस ने कर्जदाताओं को भी स्पष्ट कर दिया है कि प्रत्येक बिजनेस कैटेगरी के तहत, लीडिंग लिस्टेड कंपनी एक होल्डिंग इकाई के रूप में कार्य करेगी। इसके साथ ही ऑपरेशनल और फाइनेंशियल स्वायत्तता सुनिश्चित करेगी।
लोन रीपेमेंट और इक्विटी फंडिंग पर फोकस
पिछले साल टाटा संस ने खुद ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ अपना पंजीकरण प्रमाणपत्र लौटा दिया था और 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज चुकाया था। इससे कंपनी का नाम देनदारों की लिस्ट में आने से बच गया। यह अनुमान लगाया गया है कि न्यू बिजनेस के लिए फाइनेंस मुख्य रूप से टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) मैनेज करेगी। डिविडेंड भुगतान और टीसीएस से समर्थन समूह के उद्यमों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
सूचीबद्ध कंपनियों पर न्यूनतम प्रभाव
टाटा संस के इस फैसले से समूह की लिस्टेड कंपनियां मसलन टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर और टाटा कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स पर कोई खास असर पड़ने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि ये कंपनियां पहले से ही स्वतंत्र रूप से अपना कैपिटल मैनेज करती आई हैं। हालांकि इस कदम से होल्डिंग कंपनियां जरूर प्रभावित हो सकती हैं, जिनमें टाटा संस की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। बैंकों ने परंपरागत रूप से इन कंपनियों को टाटा की पर्याप्त इक्विटी हिस्सेदारी के आधार पर ऋण दिया है, वह भी बिना किसी स्पष्ट गारंटी के।
अपनी अग्रणी सहायक कंपनियों का लाभ उठाकर और आंतरिक इक्विटी रिसोर्सेज पर फोकस करके, समूह का लक्ष्य अपने भविष्य के प्रयासों में कार्यक्षमता और स्थिरता को बढ़ाना है।