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इस ‘जोकर’ की कहानी कर देगी आपको इमोशनल…शो मस्ट गो ऑन…

हॉलीवुड फिल्म जोकर री-रीलिज के बाद से बेशक सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड कर रहा हो, लेकिन हम जिस देसी जोकर की कहानी आपको बताने जा रहे हैं, वो भी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है।

by Neha Verma
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देश के नंबर वन जोकर के रूप में अपनी पहचान रखने वाले बिरजू की कहानी किसी फिल्म स्क्रिप्ट से कम नहीं है। सर्कस के गेटकीपर से लेकर जोकर और एंटरटेनर के रूप में उनकी खासी ख्याति रही है। जीवन के उतार-चढ़ाव को करीब से देखनेवाले इस कलाकार की जुबानी उसकी कहानी…।

अरे तू तो सच में जोकर है!!.ओए जोकर..। इस तरह के कमेंट्स अक्सर सुनते आ रहे देश के नंबर वन जोकर बिरजू को आज लगभग इस करियर में चालीस साल हो गए हैं। केरल के एक पिछड़े इलाके से पैसे कमाने के मकसद से आए बिरजू की किस्मत में जोकर बनकर लोगों का मनोरंज करना लिखा था। उनकी कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है। बिरजू हमसे अपनी जर्नी को एक्सक्लूसिव शेयर करते हैं।

सिक्यॉरिटी गार्ड से जोकर बनने की कहानी

मुझे सर्कस इंडस्ट्री में आए हुए लगभग 40 साल हो गए हैं। शुरुआत के दिनों में एक सर्कस के बाहर टेंट के बाहर गेट-कीपर का काम करता था। हालांकि मुझे जोकर (क्लाउन) हमेशा अपनी ओर अट्रैक्ट किया करते थे। मैं देखता था कि कोई भी जोकर स्टेज पर आता तो लोग तालियां बजाते और उसे प्यार देते।

काला होने के कारण कई बार हुआ रिजेक्ट

मैं भी इसी जद्दोजहद में लग गया कि कैसे भी करके मैं जोकर बन जाऊं। इसके लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े। कई बार रिजेक्ट हुआ। रिजेक्शन का सबसे बड़ा कारण मेरा काला होना था। मालिक यही कहकर नकार देते थे कि मैं काला हूं, तो जोकर नहीं बन पाऊंगा। इस बीच मुझे रैंबो सर्कस में मौका मिला। उन्होंने मुझे चांस दिया, शायद मेरा काम अच्छा रहा होगा कि फिर मौके मिलते रहे और मैं गेटकीपर का काम छोड़ फुल टाइम जोकर बन गया।

बतौर जोकर 320 रुपये मिली थी पहली फीस

जोकर बनने की एक अच्छी बात यह थी कि पैसे भी उस वक्त ठीक-ठाक मिलते थे। बतौर जोकर मेरी पहली फीस 320 रुपये थी। आज भी याद है जब मैं पहली बार जोकर बनकर स्टेज पर चढ़ा था। सच कहूं, तो उस वक्त बिलकुल भी नर्वस नहीं था। उल्टा मुझे अंदर से इस बात की खुशी थी कि मैं जोकर बन रहा हूं। मेकअप कर क्लाउन बन आर्टिस्ट की तरह परफॉर्म करने की एक्साइटमेंट ज्यादा थी। मैं डरा नहीं था, नैचुरल तरीके से परफॉर्म कर रहा था। उस टाइम क्लाउन को हमेशा परफॉर्मेंस करने के दौरान ही पब्लिक के बीच लाया जाता था। उन्हें छिपाकर रखते थे। बाहर किसी से बात करते की इजाजत नहीं थी।

जोकर: समय बदला, आम लोगों के बीच करने लगे शो

जब जानवरों का ट्रेंड सर्कस से खत्म हुआ, तो एक्स्पेरिमेंट के तौर पर हमारे मालिक सुजीत जी ने हमसे कहा कि विदेशों में जोकर लोगों से इंटरैक्ट करते हैं। आपलोग भी कोशिश कर के देखो। हमने उनके कहे अनुसार यह किया, यकीन मानिए, लोगों की भीड़ सी लग गई थी। लोग बड़े-बड़े कैमरे लेकर फोटो की दरख्वास्त करते थे। यह ट्रेडिशन काफी लोकप्रिय हुआ। इससे दर्शकों और जोकर के बीच की दूरी खत्म हुई थी। पुराने समय में एक टिकट की कीमत 6 रुपये से लेकर 30 रुपये तक हुआ करती थी। अब जाकर 500 से 1000 रुपये तक हो गई है।

जब शशि कपूर ने कहा, ‘तुम्हें देखकर याद आते हैं राजकपूर’

बिरजू ने एक यादगार वाकया याद करते हैं, ‘हम शशि कपूर के पृथ्वी थिएटर पर भी परफॉर्म किया करते थे. वहां हमने कई सारे शोज किए हैं। मुझे याद है एक बार शशि कपूर मेरे पास आए और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए उन्होंने कहा था कि तुम्हें देखकर राज कपूर की याद आती है।‘ फिर क्या था, इससे बड़ा कॉम्प्लीमेंट मुझे मिल नहीं सकता था।

उनका यह कहना मेरे लिए अवॉर्ड से भी कहीं ज्यादा बढ़कर था। कई बॉलीवुड एक्टर्स ने आकर कहा है कि आपकी कॉमिक टाइमिंग बहुत अच्छी है। कुछ एक्टर्स आकर पूछते हैं कि आप परफॉर्मेंस के दौरान जो कुछ डायलॉग डिलीवरी करते हैं, उसकी क्या स्क्रिप्ट होती है। मैं उन्हें बताता हूं कि ऑडियंस को देखकर मेरे मन में जो आता है, बोल जाता हूं। हम अनपढ़ लोगों के लिए क्या स्क्रिप्ट या डायलॉग्स। मुझे फिल्मों से भी ऑफर आए हैं। ‘लक बाय चांस’ में रितिक रौशन के साथ डांस किया है, ‘अतरंगी’ में अक्षय कुमार के साथ भी नजर आया था।

सर्कस मेरे लिए नशा, समय कठिन लेकिन निराशा नहीं

सर्कस मेरे लिए एक नशे की तरह है। मैं इसके बिना खुद को इमेजिन नहीं कर पाता हूं। जब सर्कस का प्रचलन था, तो उस वक्त बहुत पैसे कमाए। एक दौर ऐसा भी आया, जब सबकुछ बिखर गया या कह लें खत्म सा लगता था। भले दूर से लोगों को लगता होगा कि सर्कस के जो मालिक होते हैं, उनके पास बहुत पैसे होंगे, वो चला लेंगे। असलियत हम सभी जानते हैं। अगर एक दो शो भी फ्लॉप हो जाए, तो मालिक कर्जे में आ जाता है।

उसकी जिंदगी तक बर्बाद हो सकती है। एक सर्कस से लगभग 150 लोगों का परिवार चलता है। हम एक दूसरे का सपोर्ट नहीं करेंगे, तो यह कल्चर खत्म हो जाएगा। यह हमारी जिम्मेदारी है कि सर्कस को लोगों के बीच जिंदा रखें।

समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता, एक-दूसरे से बढ़ता है हौसला

कई बार ऐसा रहा कि शो खाली गया है। एक बड़े मैदान में महज 10 से 12 लोगों के बीच परफॉर्म किया है। तब यही जेहन में होता था कि हर दिन घर पर मटन तो नहीं बनेगा। कभी सूखी रोटी से भी काम चलाना होगा। हमारे कई साथी निराश होकर सर्कस छोड़कर चले गए। मैंने कभी बैकअप ऑप्शन का सोचा ही नहीं है। मैं शायद कभी इसके बिना जी नहीं पाऊं। तंगहाली के दिनों में हम आपस में एक दूसरे की मदद कर हौसला बढ़ाते रहते हैं।

जोकर: कोरोना के बाद बढ़ा सर्कस की ओर रुझान

बिरजू बताते हैं, कोरोना के बाद एक चमत्कार सा हुआ है, पता नहीं कैसे लेकिन, लोगों का रुझान सर्कस और इस कल्चर में दोबारा बढ़ा है। कई बार टिकट्स सोल्ड आउट हो जाते हैं। अभी 2 नवंबर को भी मुंबई के बोरिवली में हमारा परफॉर्मेंस है।

इस जोकर ने सुसाइड का कर लिया था प्लान

सर्कस मेरी दुनिया है। लॉकडाउन के दौरान जब सबकुछ बंद हो गया था। तो उस वक्त मैं मेंटली काफी डिस्टर्ब सा रहने लगा था। मेरे परिवार में वाइफ है नहीं। दो बच्चे केरल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। मैं तो सर्कस वालों के साथ ही रहता हूं। अपने पैसों से परिवार वालों की हमेशा मदद की है। फर्स्ट लॉकडाउन के दौरान तो मेरी जितनी सेविंग्स थी, वो खत्म हो गई।

सेकेंड लॉकडाउन के दौरान मेरे पास एक रुपया तक नहीं बचा। मैं अपने परिवार वालों को कॉल कर उनसे दो हजार मांगता था, लेकिन सभी कोई न कोई बहाना बनाकर टाल देते थे। वो वक्त एक बुरे सपने की तरह था। मेरे दिमाग में बस यही चलता था कि मैं अगर आगे कमा नहीं पाया, तो बच्चों को कैसे देखूंगा, क्या करुंगा, अगर सर्कस पूरी तरीके से खत्म हो गया, तो मैं कैसे जीऊंगा। मुझे तो सर्कस के बिना नींद तक नहीं आती है। कई बार रात को उठकर आईने के सामने मेकअप कर बैठकर खुद को निहारता था। मुझे यह पता है कि अब मैं जोकर के अलावा कुछ काम नहीं कर पाऊंगा। न काम चल रहा है और न पैसे हैं। ऐसी जिंदगी से अच्छा है कि मैं मर ही जाऊं…

मुझे सुसाइड अटेंप्ट करते हुए मेरे एक को-वर्कर ने देख लिया और उसने फौरन हमारे मालिक को कॉल लगा दिया। मालिक आए, उन्होंने मुझसे तीन घंटे बात की और फिर हमारे लिए जुंबा क्लास और कुछ एक्सरसाइज का अरेंजमेंट करा दिया। कहा कि प्रैक्टिस करो, तो माइंड डाइवर्ट होगा। उसके बाद उन्होंने ऑनलाइन कुछ काम दिलवाया। ऑनलाइन के जरिए कुछ पैसे आने लगे। उस हादसे से मैंने सबक लिया कि भले ही मैं पैसे नदी में बहा दूं लेकिन किसी रिश्तेदार को तो नहीं दूंगा। मैं अब अनाथ बच्चों की मदद करता हूं और उनके जरूरत के हिसाब से उन्हें पैसे देता हूं।

शो मस्ट गो ऑन…

मेरी वाइफ को गुजरे हुए 18 साल हो गए हैं। वो केरल में एक स्कूल में टीचर थीं। एक सुबह वो अपनी मां संग कुछ सामान लेने जगंल के रास्ते से जा रही थी। उसे सांप ने काट लिया। उसने अपनी मां को बताया भी लेकिन मां ने नजरअंदाज कर दिया। एक घंटे के अंदर उसकी बॉडी नीली पड़ गई थी और वो जा चुकी थी। उस वक्त मैं पुणे में शो कर रहा था। तब मेरे पास मोबाइल नहीं होता था। मेरे मालिक के पास कॉल आया कि मेरी पत्नी का देहांत हो गया है। उस दिन मेरे दो एक्ट थे। एक छोटा कॉमिडी शो था और दूसरा एक्ट 10 मिनट बाद होना था।

मैं पहला एक्ट कर परदे के पीछे आया, तो मेरे मालिक ने कहा कि अगला शो रहने दे, तू घर जाने की तैयारी कर, तुम्हारी पत्नी सीरियस है। मैंने कहा, सर ये एक्ट पूरा करके जाता हूं। वो मना करने लगे..तब मुझे कुछ आभास हो गया।

चूंकि शो उस वक्त हाउसफुल था, तो मैं बीच में छोड़कर नहीं जाना चाहता था। जैसे-तैसे परफॉर्म किया, जब दोबारा आया, तो उन्होंने सच बता दिया कि मेरी बीवी नहीं रही। मैं फौरन शो पूरा कर अपने गांव के लिए निकल गया था। स्टेज पर कई बार ऐसे मौके आए हैं, जब हेल्थ ठीक नहीं रही हो, लेकिन परफॉर्म करना है। वो कहते हैं न, शो मस्ट गो ऑन..

बच्चों से छिपाकर रखी थी यह बात

वाइफ के गुजरने के बाद मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। मेरे बच्चे अब मेरे पैरेंट्स के साथ रहने लगे। मैं उन दिनों ड्रिंक किया करता था, तो बेटी को देखकर मैंने दारू पीना छोड़ दिया। पैसे कमाने पर फोकस किया। केरल में बच्चों के रहने के लिए घर बनाया। खुद अनपढ़ था लेकिन चाहता था कि बच्चों को पूरी तालीम दूं। उनको अच्छे से पढ़ाया-लिखाया।

एक बेटी मेडिकल फील्ड में है और बेटा वीडियो एडिटिंग की पढ़ाई कर रहा है। मैंने घर भी उन दोनों के नाम पर कर दिया है। मैंने अपने बच्चों से जोकर बनने की बात अरसों तक छिपा कर रखी थी। दरअसल मुझे कुछ दोस्त जोकर कहकर पुकारते थे, तो सोचता था कि कहीं बच्चों को मेरी वजह से शर्मिंदगी न हो। पांच साल पहले मैंने अपने बच्चों के सामने अपनी पहचान उजागर की। इससे पहले मैं उनसे कहता था कि मैं सर्कस में मैनेजमेंट का काम करता हूं।

जब बेटे ने कहा, आप हो रियल हीरो…

मेरे एक जर्नलिस्ट दोस्त ने कहा कि तुम्हें अपने बच्चों को सच बता देना चाहिए। मैंने बेटे को अपने एक शो में बुलाया। हाउसफुल पब्लिक के बीच मेरा बेटा बैठा था। जोकर बन परफॉर्म करने के बाद जब मैं क्राउड के पास पहुंचा, तो लोग भीड़ में मेरे संग तस्वीर खिंचवा रहे थे। मेरा बेटा भी आकर मुझसे कहने लगा वन फोटो प्लीज..। मैंने उससे अपने रीजनल लैंग्वेज में कान पर कहा कि तुम्हारे पापा कैसे लग रहे हैं।

वो चौंक गया और कहने लगा पापा आप हो। मैंने बोला बेटा तुम्हें शर्मिंदगी तो नहीं हो रही है न, तो कहने लगा कि आप तो स्टार हैं, मेरे रियल हीरो। मैंने रोते हुए मेरे जेब से सारे पैसे निकालकर उसे देते हुआ कहा कि जाओ जो चाहिए खरीद लो। अब तो मैं पूरी फैमिली संग फेसबुक से जुड़ चुका हूं। अब उन्हें प्राउड होता है कि मैं देश का नंबर वन क्लाउन आर्टिस्ट हूं। मुझ पर एक शॉर्ट फिल्म भी बनी है, जिसे एक्टर आशीष विद्यार्थी ने प्ले किया था।

जोकर जीना यहां मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां…

हमारा एक कैंप चालीस दिन का होता है। हम पूरे देश में ट्रैवल करते हैं और टेंट में रहते हैं। मुझे इसी जिंदगी से प्यार भी है। मैं पिछले 40 साल से टेंट में रह रहा हूं। मुझे यहां रहना अच्छा लगता है। यही मेरा परिवार है। टेंट में रहने के दौरान मैं अपने औकात से जुड़ा रहता हूं। मुझे यह अहसास होता है कि जितनी चादर है, उतना ही पैर फैलाओ। केरल में दो मंजिला घर, एयरकंडीशन सबकुछ है, लेकिन मुझे वहां सोना हजम नहीं होता है। मुझे वहां नींद ही नहीं आती है। मुझे सुकून तो टेंट के अंदर ही आता है।

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