नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा को संबोधित किया। उन्होंने इस भाषण के दौरान तीन सदस्यों का विशेष रूप से उल्लेख किया जिनमे सबसे ज्यादा उम्र के MP, सबसे कम उम्र के MP और सबसे ज्यादा बार सदस्य रह चुके MP का नाम शामिल है। सबसे बुजुर्ग सदस्य हैं समाजवादी पार्टी के शफीकुर रहमान बर्क। सबसे कम उम्र की सदस्य हैं बीजू जनता दल की चंद्राणी मुर्मू। साथ ही सबसे लंबे समय तक सदस्य रह चुके हैं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के इंद्रजीत गुप्ता।
प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही बताया कि शफीकुर रहमान बर्क 93 वर्ष की आयु में भी संसद में योगदान कर रहे हैं, जबकि चंद्राणी मुर्मू 25 वर्ष की आयु में संसद की सदस्य बन गई हैं। चंद्राणी मुर्मू 2019 में ओडिशा के क्योंझर से सांसद चुनी गई थी, और वह समय के सबसे कम आयु वाली सदस्य हैं। समाजवादी पार्टी के शफीकुर रहमान बर्क नौवीं बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, और वे पहली बार 1996 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से लोकसभा में चुने गए थे। आइए जानते हैं इन सभी के बारे में विस्तार से।
शफीकुर रहमान बर्क 93 वर्ष की उम्र में भी सक्रिय:
शफीकुर रहमान बर्क का जन्म 11 जुलाई 1930 में हुआ था। वे समाजवादी पार्टी से संबंधित एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं । वह कई बार समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मुरादाबाद और हाल ही में 2019 में संभल से लोकसभा के लिए चुने गए हैं । समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क नौवीं बार लोकसभा में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वे पहली बार 1996 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से लोकसभा में चुने गए थे, पहले चार बार विधायक भी रहे थे। बर्क ने अनेक बार विवादों में भी सामना किया है। वर्ष 2019 में जब उन्होंने संसद में शपथ ग्रहण के दौरान ‘वंदे मातरम’ बोलने से इनकार किया था उस वक्त वे विवाद के घेरे में पद गए थे। इसके बाद भी वे लगातार तमाम दो पर खुलकर अपनी राय रखते रहते हैं।
चंद्राणी मुर्मू25 की उम्र में बन गईं सांसद:
चंद्राणी मुर्मू ने 2019 में ओडिशा के क्योंझर से 25 वर्ष की आयु में सांसद चुनी गईं। वे वर्तमान में 30 वर्ष की संसद की सबसे कम आयु वाली सदस्य हैं। वे राजनीतिक परिवार से जुड़ी हैं। चंद्राणी मुर्मू का जन्म 16 जून 1993 को हुआ था। 2017 में, उन्होंने ‘ओ’ अनुसंधान विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी डिग्री पूरी की। चंद्राणी मुर्मू ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी, जब उनके मामा हरमोहन सोरेन के माध्यम से बीजद ने उनसे क्योंझर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए संपर्क किया। बीजद इस खास क्षेत्र के लिए एक शिक्षित महिला की तलाश कर रहे थे, क्योंकि यह एक आरक्षित आदिवासी निर्वाचन क्षेत्र है।
इंद्रजीत गुप्ता 36 साल तक रहे सांसद:
इंद्रजीत गुप्ता को “सदन का पिता” कहा जाता है। इंद्रजीत गुप्ता ने 1960 से लेकर 2001 तक लगभग 36 साल तक लोकसभा के सदस्य के रूप में सेवा की। 1960 के उपचुनाव में, वे कलकत्ता दक्षिण पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए, और तब से वे लगातार 16 साल सदन के सदस्य रहे हैं। इंद्रजीत गुप्ता ने 1977 के चुनावों में अपनी हार के बाद तीन साल के अंतराल लिया, और फिर उन्होंने 1980 में बशीरहाट संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी अब्दुल क़ाज़ी को लगभग 95,000 वोटों से हराकर संसद में वापस आए। इसके बाद से गुप्ता ने अपनी सीट को बचाने में लगातार सफलता पाई। और वे 2001 तक सांसद रहा।