हेल्थ डेस्क, जमशेदपुर : झारखंड के जमशेदपुर स्थिति महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शव ढोने के नाम पर भी अधिक राशि वसूली जा रही है। इसे लेकर शुक्रवार की देर रात एक मृतक के परिजनों ने जमकर हंगामा किए और इसकी शिकायत एमजीएम अधीक्षक डॉ रविंद्र कुमार से भी की। दरअसल, मुसाबनी के विजय पूर्ति की तबीयत खराब होने पर उन्हें एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां पर इलाज के क्रम में शुक्रवार की रात उनकी मौत हो गई। इसके बाद उसके परिजन शव को ले जाने के लिए मोक्ष वाहन के सेंटर में पहुंचे। वहां पर सीधे तीन गुनी अधिक राशि की मांग की गई, जिसे सुनकर परिजन भड़क गए और हंगामा करने लगे। परिजनों का कहना है कि मुसाबनी की दूरी 68 किलोमीटर है। ऐसे में एमजीएम प्रबंधन द्वारा तय किए गए किराये के अनुसार, मुसाबनी का किराया 1022 रुपये होता है, लेकिन उनसे 3200 रुपये मांगे जा रहे हैं। ऐसे में इस मामले की जांच होनी चाहिए और आरोपी पर सख्ती के साथ कार्रवाई हो, ताकि आगे इस तरह की धांधली का मामला सामने नहीं आए।
पीपीपी मोड पर संचालित होता है मोक्ष वाहन
एमजीएम अस्पताल में मोक्ष वाहन का संचालन पीपीपी मोड पर होता है। इसका संचालन एनओसी फाउंडेशन करती है। इस पर पहले भी तय किराये से ज्यादा राशि लेने का आरोप लगते रहे हैं। कई बार जांच भी की गई। जांच में अधिक राशि लेने का मामला भी सामने आया, लेकिन चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है।
झारखंड में 108 एंबुलेंस सेवा भी सही ढंग से नहीं कर रहा काम
झारखंड में 108 एंबुलेंस सेवा भी सही ढंग से काम नहीं कर रहा है। इसे लेकर जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में रोजाना हो-हंगामा जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है। शुक्रवार को भी एक मामला सामने आया। बिरसानगर के रहने वाले एम. सोय हृदय रोग से ग्रस्त हैं। वे एमजीएम में भर्ती हैं। चिकित्सकों ने उन्हें बीते बुधवार को हायर सेंटर रेफर किया है। इसके बाद गुरुवार सुबह 11 बजे से मरीज की बड़ी बहन 108 एंबुलेंस को फोन की। इस दौरान उन्हें डॉक्टर से बात कराने को कहा गया।
इसके बाद ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक से उन्होंने बात कराया तो कहा गया कि आधे घंटे में एंबुलेंस पहुंच रही है, लेकिन नहीं पहुंची। उसके बाद मरीज के परिजन फिर फोन किए तो कहा गया कि आधे घंटे में पहुंच रही, लेकिन फिर नहीं पहुंची। इस तरह से मरीज के परिजन दिनभर फोन करते रहे, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची। शुक्रवार को भी मरीज की बड़ी बहन प्रयास करती रही, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची।
इसके बाद उन्होंने दोपहर एक बजे भाजपा नेता विमल बैठा को फोन किया, तो वे मौके पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने 108 एंबुलेंस के पदाधिकारी व सिविल सर्जन से बातचीत कर मरीज की स्थिति से अवगत कराया। तब शाम चार बजे मरीज एमजीएम से रांची रिम्स गया। लगभग 29 घंटे के बाद मरीज को एंबुलेंस मिली।
भाजपा नेता ने कहा-दम तोड़ रही चिकित्सा व्यवस्था
भाजपा नेता विमल बैठा ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के शहर में चिकित्सा व्यवस्था दम तोड़ रही है। ऐसे में दूसरे शहरों की स्थिति क्या होगी, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बीते दिनों एक मरीज को एंबुलेंस नहीं मिली, जिसके कारण वह हायर सेंटर नहीं पहुंच सका और मरीज की मौत हो गई। इसी तरह, हाल के दिनों में लगातार एंबुलेंस नहीं मिलने की शिकायतें सामने आ रही हैं, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री द्वारा अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है और इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
अबतक मामले आ चुके हैं सामने
– 3 अक्टूबर : 26 घंटे के बाद मिली घाटशिला के मउभंडार निवासी 15 साल की एक बच्ची को एंबुलेंस। इसके बाद उसे रांची रिम्स ले जाया गया।
– 27 सितंबर : बर्मामाइंस निवासी गणेश गोप को 108 एंबुलेंस नहीं मिली और एमजीएम में ही उसकी मौत हो गई।
– 26 सितंबर : जुगसलाई गौरी शंकर रोड निवासी मजरूद्दीन को 108 एंबुलेंस नहीं मिली। इसके बाद उसके स्वजनों ने हंगामा किया था।
– 5 सितंबर : 108 एंबुलेंस चालकों की धांधली सामने आई थी। आदित्यपुर निवासी मुकेश प्रसाद अपने पिता को एमजीएम से रिम्स ले जाना चाह रहे थे। तभी यह मामला सामने आया था।
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क्या कहते हैं एमजीएम अधीक्षक
एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ रविंद्र कुमार कहते हैं कि 108 एंबुलेंस सेवा का संचालन रांची से होता है। ऐसे में इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग से की गई है, ताकि इसका समाधान जल्दी हो और मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो।