गुमला: घाघरा प्रखंड के बदरी गांव स्थित प्रोजेक्ट हाई स्कूल के मैदान में कार्तिक उरांव स्मृति जतरा सह खेलकूद प्रतियोगिता एवं सांस्कृतिक महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि जो लोग समाज के लिए जीते हैं वहीं सही मायने में जीवन जीते हैं।
ऐसे लोग सदैव याद किए जाते हैं। ऐसा ही याद करने वालों में पंखराज कार्तिक उरांव का कृत्य रहा है। कुछ लोग अपने समर्पित कार्य से हमेशा के लिए अमिट छाप छोड़ जाते हैं । इस क्षेत्र में ऐसा व्यक्तित्व कार्तिक उरांव में था। उनका व्यक्तित्व कर्मयोगी थी।
समाज के लिए जीने वाले सदैव किए जाते हैं याद: राज्यपाल
राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन कहा कि एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेने वाले शिक्षा एवं प्रसिद्धि की ऊंचाइयों को प्राप्त करने वाले एक महान शिक्षाविद्, कुशल इंजीनियर व दूरदर्शी व्यक्ति कार्तिक उरांव का जीवन प्रेरणा का स्रोत है। उनके प्रयासों से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों की स्थापना हुई।रांची के एचइसी का नक्सा उन्हीं के द्वारा तैयार किया गया था। उनका मानना था कि शिक्षा केवल व्यक्तिगत हित का साधन नहीं है, बल्कि संपूर्ण समाज को सशक्त बनाने का साधन है। प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए सभी प्रतिबद्ध होना चाहिए। झारखंड के हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले। अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा देना प्रत्येक माता-पिता का परम कर्तव्य है। ज्ञान से बड़ी कोई ताकत नहीं है। प्रधानमंत्री बच्चों के भविष्य के प्रति बहुत संवेदनशील हैं। इस दिशा में झारखंड राज्य को बड़ी संख्या में ‘एकलव्य विद्यालय’ प्रदान किए गये हैं।
विकास भारती के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि कार्तिक उरांव ने आदिवासी समाज को एक नया राह दिखाने का काम किया। उनका व्यक्तित्व समाज निर्माण करने वाला था। आदिवासी समाज आज अपनी पहचान की लड़ाई लड़ने की जो क्षमता रखते यह कार्तिक उरांव का ही देन है। आज आदिवासी समाज को जरूरत है कि कार्तिक उरांव के बताएं पदचिन्हों पर चले और बेहतर समाज निर्माण का काम करें।
लोकसभा सांसद सुदर्शन भगत ने कहा कि कार्तिक ने समाज कैसे आगे बढ़े इसके लिए हमेशा उन्होंने प्रयास किया। यह यात्रा उनके द्वारा लगाया गया जो आदिवासियों का धरोहर है। प्रत्येक वर्ष इस तरह का आयोजन कर हम कार्तिक उरांव को याद करते हैं।
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परंपरागत नृत्य देखकर प्रसन्न हो गए राज्यपाल
कार्तिक उरांव स्मृति जतरा सह खेलकूद प्रतियोगिता में प्रखंड क्षेत्र से सैकड़ो खोड़ाहा दल ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ अपना नृत्य का प्रदर्शन किया। आदिवासियों के परंपरागत नृत्य को देखकर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन काफी उत्साहित हुए। उन्होंने इस पारंपरिक नृत्य के लिए लोगों का जमकर सराहना करते हुए कहा कि आदिवासी परंपरा की झलक देखकर वे अभीभूत हैँ।
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राज्यपाल ने अपना बंडी उतार कर पहन लिया पारंपरिक आदिवासी वस्त्र
आदिवासी परंपरा से जुड़ा पारंपरिक वस्त्र जैसे ही आयोजन समिति के द्वारा राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को भेंट किया गया। उन्होंने तुरंत ही अपना बंडी उतारा और उस वस्त्र को धारण कर लिया। उन्होंने लोगों का अभिवादन करते हुए कहा कि मुझे इस वस्त्र को पहन कर काफी अच्छा लग रहा है।
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दत्तचित्त होकर सुना भाषण
कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने दत्तचित्त होकर राज्यपाल का भाषण सुना। हालांकि राज्यपाल अंग्रेजी में बोल रहे थे। जिसका अनुवाद किया जा रहा था। इस तरह का भाषण सुनना लोगों के लिए नया रहा। लोग समय समय पर तालियां भी बजा रहे थे।
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टाना भगत भी पहुंचे थे कार्यक्रम में
राज्यपाल का भाषण सुनने के लिए काफी संख्या में टाना भगत भी पहुंचे थे। टाना भगत काफी उत्साहित थे। पूरे कार्यक्रम तक अपनी जगह पर टिके रहे। कार्यक्रम के समापन के बाद सभी टाना भगत एक साथ मैदान से बाहर निकल आए।
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दिया गार्ड ऑफ ऑनर
कार्तिक बाबा स्मृति जतरा सह खेलकूद व सांस्कृतिक महोत्सव कार्यक्रम में जैसे ही राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन पहुंचे तो गुमला जिला के पुलिस कर्मियों के द्वारा राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर देकर कार्यक्रम स्थल की तरफ ले जाया गया।वहीं कार्यक्रम समाप्त होने के बाद भी पुलिस कर्मियों ने राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। जिसके बाद राज्यपाल रांची के लिए रवाना हो गए।
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राष्ट्रगान के साथ हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ
मंच पर पहुंचने के उपरांत कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ। एक साथ लोग अपने अपने जगह पर खड़े हो गए और कार्यक्रम में मौजूद लगभग 20 हजार लोगों ने राष्ट्रगान गाया। कार्यक्रम की समाप्ति से पूर्व भी राष्ट्रगान गाया गया। मौेक पर अतिथियों ने स्व. कार्तिक उरांव के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से राज्यसभा सांसद समीर उरांव ,रांची की महापौर आशा लकड़ा,आयोजन समिति के अध्यक्ष तिंबू उरांव, उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी, पुलिस अधीक्षक हरविंदर सिंह, पूर्व एमएलसी प्रवीण सिंह, कुमार रवि, रामनंदन साहू, बिपिन बिहारी सिंह, ओमप्रकाश सिंह, शिव शंकर उरांव, भिखारी भगत, महेंद्र भगत,रामावतार भगत, श्याम किशोर पाठक सहित हजारों की संख्या में लोग शामिल थे।
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