लखनऊ : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आय़ोग के बाहर आज मंगलवार को प्रतियोगी छात्रों का विरोध प्रदर्शन हो रहा हैै। छात्र काफी आक्रोश में हैं। प्रतियोगी छात्रों की मांग है कि परीक्षा ‘वन डे-वन शिफ्ट’ में कराई जाए। इसके अलावा छात्र नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया का भी विरोध कर रहे हैं। सोमवार की दोपहर से ही हजारों की संख्या में छात्र लोक सेवा आयोग के दफ्तर के बाहर डटे हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अभ्यर्थियों का प्रदर्शन जारी है। प्रतियोगी छात्रों का आरोप है कि 41 जिलों में पीसीएस प्री 2024 आयोजित किया जा रहा है। छात्रों का कहना है कि इसे राज्य के सभी 75 जिलों में लागू किया जाना चाहिए, ताकि एक दिन में एक शिफ्ट में परीक्षा कराई जा सके। आय़ोग के इस कदम से नॉर्मलाइजेशन की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
छात्रों का अनूठा प्रदर्शन
प्रतियोगी छात्रों का इसके पीछे दलील है कि एक बार भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकेगा। इसी को लेकर प्रतियोगी छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। रात होने के बावजूद छात्र मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्र यहां अनूठे तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं।
आयोग के बिना आश्वासन के घर नहीं जाएंगे
छात्र प्लास्टिक की खाली बोतलों को पीट-पीट कर अपना विरोध जता रहे हैं। लोक सेवा आयोग के सामने सड़क और डिवाइडर पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं बैठे हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक उन्हें आय़ोग की ओर से आश्वासन नहीं मिल जाता, तब तक वे अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। आयोग से बगैर कोई ठोस आश्वासन मिले, वे अपने घर नहीं जाएंगे।
छात्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने एक फैसले में इन्हीं बातों को दोहराया है। बड़ी संख्या में लोक सेवा आयोग के बाहर मौजूद छात्र-छात्राएं उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के साथ ही दिल्ली से भी आए हैं। यूपीपीएससी ने 7 व 8 दिसंबर को प्री 2024 कराना प्रस्तावित किया है, जबकि आरओ व एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षा 22 व 23 दिसंबर को करने का प्रस्ताव रखा गया है।
छात्रों की मांग है कि दोनों ही परीक्षाएं एक ही दिन एक ही शिफ्ट में कराई जाए। इस संबंध में आयोग की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की शुचिता एवं छात्रों के भविष्य को संरक्षित करने के उद्देश्य से परीक्षाएं केवल उन केंद्रो पर कराई जा रही है, जहां किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी की संभावना नहीं है। पूर्व में दूरदराज के सेंटरों में कई प्रकार की गड़बड़ियां संज्ञान में आई थीं। इससे योग्य छात्रों के भविष्य की भी अनिश्चितता बन जाती है।
आयोग ने आगे कहा कि सरकार औऱ आयोग की मंशा छात्र हितों को संरक्षित करना है। चयन प्रक्रिया में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती गई है और साथ ही छात्रों के हितों को भी ध्यान में रखा गया है। परीक्षार्थियों को परीक्षा देने के लिए दूर न जाना पड़े, इस बात को भी सुनिश्चित किया गया है।