हिमाचल के शिमला में मौजूद संजौली मस्जिद को लेकर कोर्ट ने आदेश दिया कि मस्जिद की तीन मंजिलें अवैध हैं। इन्हें दो महीने में धवस्त किया जाए। कोर्ट ने कहा कि मस्जिद के तीन फ्लोर को हटाने का काम वक्फ बोर्ड की देखरेख में होगा। वहीं आयुक्त ने मस्जिद की दूसरी तीसरी और चौथी मंजिल को हटाए जाने की अनुमति दे दी है। हैरत की बात तो यह है कि इसे खुद ही मस्जिद कमेटी ने आगे आकर हटाने की पेशकश की थी। इसके लिए दो महीने का समय दिया गया है और कोर्ट ने अनुमति दे दी है।
21 दिसंबर को होगी अब सुनवाई
संजौली की मस्जिद कमेटी ने 12 सितंबर को एक एप्लिकेशन नगर निगम आयुक्त कोर्ट को दी थी, जिसमें ऊपर की 3 मंजिलें गिराने का प्रस्ताव था। इसी अंडरटेकिंग के आधार पर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्रि ने फाइनल ऑर्डर से पहले अंतरिम आदेश जारी किया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी।आदेश के अनुसार 21 दिसंबर से पहले इन निर्देशों का पालन करना होगा।
कोर्ट में पूछे गए सवाल
कोर्ट में पूछा गया कि जब साल 2010 में रिपोर्ट आ चुकी है कि ग्राउंड फ्लोर गैरकानूनी है, तो बाकी मंजिलों का निर्माण कैसे कर दिया गया? हैरानी की बात है कि वक्फ बोर्ड ने पिछले वर्ष बताया कि उन्हें इतने सालों में निर्माण के बारे में पता नहीं चला। वकील जगतपाल ठाकुर ने कहा कि साल 1997-98 की जमाबंदी के मुताबिक खसरा नंबर-66 के आगे कोई भी मस्जिद नहीं है। यहां तक कि साल 2002-03 में भी जमीन में कोई मस्जिद रिकॉर्ड के अनुसार नहीं है।
क्या है मामला?
दरअसल, शिमला के संजौली में जो 5 मंजिला मस्जिद बनाई गई हैं वो पुरानी छोटी मस्जिद की जगह लेकर अवैध इमारत खड़ी कर दी गई है। आरोप है कि इस मस्जिद को बिना किसी मंजूरी के 5 मंजिल तक बनाया गया है। इस मस्जिद का निर्माण 2009 में शुरू हो गया था और इसे लेकर 2010 में विवाद शुरू हो गया। विवाद होने के 2 साल बाद 2012 में वक्फ बोर्ड ने मस्जिद बनाने की मंजूरी दी थी। नगर निगम की आपत्ति पर 2013 में एक अन्य व्यक्ति ने मस्जिद की ओर से एक मंजिल का प्रस्तावित नक्शा निगम में दिया और 2018 तक बिना वैध मंजूरी के 5 मंजिला मस्जिद बना डाली। लोगों का कहना है कि जब शिमला में साढ़े तीन मंजिल से ज्यादा किसी भी इमारत के निर्माण पर सख्त प्रतिबंध है, तो फिर शिमला के संजौली इलाके में सरकारी जमीन पर पांच मंजिला अवैध मस्जिद का निर्माण कैसे हुआ? और अब जब सरकार को ये पता चल गया कि ये मस्जिद गैर-कानूनी तरीके से बनाई गई है, तो सरकार इसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। इसके बाद से ही मामला तूल पकड़ना शुरू हुआ था।