मुंबई: मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने हाल ही में टोरेस पोंजी घोटाले के सिलसिले में प्लैटिनम हर्न कंपनी के CEO तौसीफ रियाज को गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब वह घोटाले के खुलासे के बाद काफी समय तक फरार था। रियाज को रविवार को लोनावला के एक होटल से पकड़ा गया, जिसके बाद उन्हें मुंबई की एक अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें 3 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। यह गिरफ्तारी टोरेस ज्वैलरी की धोखाधड़ी वाली निवेश योजना की जांच के दौरान हुई, जिसमें 3700 से अधिक निवेशकों को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है।
टोरेस पोंजी घोटाला: क्या था पूरा मामला?
पुलिस के अनुसार, टोरेस ज्वैलरी ब्रांड ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बहु-स्तरीय मार्केटिंग रणनीतियों और भ्रामक विज्ञापनों का इस्तेमाल किया। कंपनी के प्रमोटरों ने निवेशकों को आकर्षक रिटर्न का वादा किया, लेकिन जब निवेशकों ने अपनी रकम डाली, तो उन वादों को पूरा नहीं किया गया, जिसके कारण निवेशकों को वित्तीय नुकसान हुआ।
एफआईआर में यह आरोप लगाया गया कि कंपनी और उसके प्रमोटरों ने सोने, चांदी, हीरे और रत्नों में निवेश के बदले 2 से 9 प्रतिशत साप्ताहिक रिटर्न का वादा किया था। इसके साथ ही, कंपनी ने नए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बोनस और रेफरल सिस्टम की पेशकश की थी। इसके माध्यम से और अधिक निवेशकों को घोटाले में फंसाया गया।
ईडी के अनुसार, कंपनी ने सिंथेटिक मोइसैनाइट पत्थरों को हीरे के समान उच्च मूल्य वाले निवेश के रूप में बेचा, जबकि निवेशकों को इस बारे में गुमराह किया गया कि इन पत्थरों का भविष्य में मूल्य बढ़ेगा। इसके अलावा, कंपनी ने सेमिनार आयोजित किए, सोशल मीडिया पर विज्ञापन दिए और बिना लाइसेंस वाले लकी ड्रॉ का आयोजन करके ग्राहकों को लक्जरी कार और महंगे मोबाइल फोन जैसे इनाम देने का वादा किया।
घोटाले का खुलासा और रियाज की गिरफ्तारी
टोरेस पोंजी घोटाला दिसंबर 2024 में उस समय सामने आया जब कंपनी द्वारा वादा किए गए भुगतान बंद हो गए और सैकड़ों निवेशक दादर, मुंबई स्थित टोरेस वास्तु केंद्र में एकत्र हुए। यहां निवेशकों को सोने, चांदी और मोइसैनाइट आभूषणों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था, और उन्हें कार, फ्लैट और महंगे उपहारों का वादा किया गया था। हालांकि, जब कंपनी इन वादों को पूरा करने में विफल रही, तो निवेशकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया, जिसके बाद कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने जांच शुरू की।
रियाज ने दावा किया था कि उसने ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इस घोटाले के बारे में जानकारी दी थी, लेकिन इसके बावजूद वह गिरफ्तारी से बचता रहा। अधिकारियों ने उसके खिलाफ एक लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया था, और अंततः उसे लोनावला में पकड़ा गया। रियाज की गिरफ्तारी के बाद इस घोटाले से जुड़े अन्य प्रमुख आरोपियों के खिलाफ भी आगे की कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
वित्तीय हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच
ईडी ने 23 जनवरी को मुंबई और जयपुर में 10 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें टोरेस ज्वैलरी के प्रमोटरों से जुड़ी संपत्तियों को निशाना बनाया गया। एजेंसी ने 21 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को बैंक जमाओं से फ्रीज कर दिया है और इसके साथ ही इस घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय हेरफेर के एक जटिल नेटवर्क की जांच भी की जा रही है। इस घोटाले में कई निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है, और अब इस मामले में और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।
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