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Tribute To Shyam Benegal: श्याम बेनेगल की इस फिल्म ने बांग्लादेश में करवा दिया था ‘तख्तापलट, आर्ट सिनेमा के जनक को ‘मुजीब’ अलविदा

श्याम बेनेगल की फिल्म 'मुजीब: द मेकिंग ऑफ अ नेशन', जो 2023 में रिलीज़ हुई थी, ने भारतीय सिनेमा में अपनी जगह बनाई ही थी, लेकिन यह फिल्म बांग्लादेश में भी विवाद का कारण बन गई।

by Rakesh Pandey
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Tribute To Shyam Benegal : प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्माता और निर्देशक श्याम बेनेगल का 90 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया। उनका निधन 23 दिसंबर 2024 को हुआ, जबकि 14 दिसंबर को ही उन्होंने अपना 90वां जन्मदिन मनाया था। श्याम बेनेगल भारतीय सिनेमा के एक बड़े नाम थे, जिन्होंने अपने करियर में अनेक शानदार और यादगार फिल्में बनाई। उन्हें भारतीय आर्ट सिनेमा का जनक माना जाता है। उनकी फिल्मों ने न केवल भारतीय सिनेमा को नया दृष्टिकोण दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इनका खूब सम्मान हुआ।

‘मुजीब’ फिल्म और बांग्लादेश में तख्तापलट

श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मुजीब: द मेकिंग ऑफ अ नेशन’, जो 2023 में रिलीज़ हुई थी, ने भारतीय सिनेमा में अपनी जगह बनाई ही थी, लेकिन यह फिल्म बांग्लादेश में भी विवाद का कारण बन गई। फिल्म बांग्लादेश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति, शेख मुजीबुर्रहमान की जीवनी पर आधारित थी। यह फिल्म शेख मुजीबुर्रहमान के राजनीतिक जीवन और उनके संघर्षों को दर्शाती है।

हालांकि, यह फिल्म बांग्लादेश में राजनीतिक विवाद का कारण बन गई। ‘मुजीब’ के कंटेंट ने बांग्लादेश में तख्तापलट की स्थिति उत्पन्न कर दी, जिसके परिणामस्वरूप शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। फिल्म में शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व के शुरुआती दिनों को चित्रित किया गया था, और यह बांग्लादेश के राजनीतिक माहौल में हलचल पैदा करने में सफल रही। यह फिल्म बांग्लादेश के राजनीति को गहरे तरीके से छूने के कारण वहां की राजनीति के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन गई।

श्याम बेनेगल की शिक्षा और करियर

श्याम बेनेगल का जन्म 14 दिसंबर 1934 को हैदराबाद में हुआ था। श्याम ने अपनी शिक्षा अर्थशास्त्र में की थी और इसके बाद उन्होंने हैदराबाद फिल्म सोसाइटी की स्थापना की। उन्होंने 12 साल की उम्र में फिल्म निर्माण में अपनी रुचि दिखाई और अपनी पहली फिल्म बनाई थी। श्याम बेनेगल का करियर बहुत विविधतापूर्ण रहा है, जिसमें विज्ञापन, फिल्म निर्माण, और डॉक्यूमेंट्री निर्देशन शामिल था।

उन्होंने 1959 में विज्ञापन एजेंसी में कॉपी राइटर के रूप में अपना करियर शुरू किया था और 1962 में उन्होंने अपनी पहली डॉक्यूमेंट्री ‘घेर बैठा गंगा’ बनाई थी। इसके बाद, वे पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में पढ़ाने के लिए भी गए और वहां उन्होंने कई वर्षों तक फिल्म निर्देशन के विद्यार्थियों को मार्गदर्शन दिया।

सिनेमा की दुनिया में श्याम बेनेगल का योगदान

श्याम बेनेगल को आर्ट सिनेमा का जनक माना जाता है। उनकी फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी। वे अपने समय के उन कुछ निर्देशकों में से एक थे, जिन्होंने भारतीय सिनेमा के मुख्यधारा से बाहर निकलकर नये विचारों और विषयों पर काम किया। उनकी प्रमुख फिल्मों में ‘अंकुर’, ‘मंथन’, ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो’, ‘जुबैदा’, और ‘वेलकम टू सज्जनपुर’ जैसी कृतियां शामिल हैं।

‘अंकुर’ (1974) उनकी पहली प्रमुख फिल्म थी, जो भारतीय सिनेमा में एक मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म में उन्होंने आंध्र प्रदेश के किसानों के संघर्षों को बड़े प्रभावशाली तरीके से दर्शाया था। वहीं, ‘मुजीब: द मेकिंग ऑफ ए नेशन’ उनकी आखिरी फिल्म थी, जो 2023 में रिलीज हुई थी।

Tribute To Shyam Benegal : पुरस्कार और सम्मान

श्याम बेनेगल को उनकी फिल्मों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया। उन्होंने आठ बार नेशनल फिल्म अवार्ड जीता और उनका नाम भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ से भी जुड़ा है। 1976 में उन्हें पद्मश्री और 1991 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उनकी फिल्मों ने न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में सिनेमा प्रेमियों को प्रभावित किया।

श्याम बेनेगल का फिल्मी करियर भारतीय सिनेमा की धरोहर है। उन्होंने अपने करियर के दौरान लगभग 24 फिल्मों, 45 डॉक्यूमेंट्री और 1500 एड फिल्म्स का निर्देशन किया। श्याम बेनेगल की फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को एक नई पहचान दी और आर्ट सिनेमा को मुख्यधारा में लाने में अहम भूमिका निभाई। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, और उनका काम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

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