पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां तेज हो गई हैं और राजनीतिक दलों के बीच मुकाबला और भी कड़ा हो गया है। हाल ही में, कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को बिहार में अपनी चुनावी चुनौती के रूप में उतारा, वहीं अब एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने बिहार में अपनी रणनीति को और मजबूत करने के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान (मामा) को मैदान में उतारने का फैसला किया है।
शिवराज सिंह चौहान की महत्वपूर्ण भूमिका
शिवराज सिंह चौहान की चुनावी रणनीति और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए, उन्हें बिहार की राजनीतिक स्थिति को संभालने के लिए नियुक्त किया गया है। उनका बिहार में लगातार दौरा और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें उनके अनुभव को सामने लाती हैं। बिहार भाजपा के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा, ‘शिवराज सिंह चौहान अनुभवी नेता हैं। वे केंद्र सरकार में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं। भाजपा उनकी चुनावी रणनीति का लाभ उठाना चाहती है’।
एनडीए के लिए शिवराज सिंह चौहान की अहमियत
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इस साल, शिवराज सिंह चौहान बिहार के दौरे पर दो बार आ चुके हैं और अब वे तीसरी बार 12 अप्रैल को राज्य का दौरा करेंगे। इस दौरान, वे भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक करेंगे और आगामी चुनावी रणनीतियों पर विचार-विमर्श करेंगे।
शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक सफर
शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक कॅरियर काफी गौरवपूर्ण रहा है। वे 1990 में मध्य प्रदेश के बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। इसके बाद, उन्होंने बीजेपी के बड़े नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई और पार्टी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2005 से लेकर 2020 तक वे चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और अपनी प्रशासनिक क्षमता से राज्य के विकास में अहम योगदान दिया। उनका राजनीति में स्थिरता, विकास और पिछड़े वर्ग के प्रति उनका दृष्टिकोण उन्हें एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित करता है।
बिहार में एनडीए की चुनावी रणनीति
शिवराज सिंह चौहान का बिहार में लगातार आना और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करना यह संकेत देता है कि एनडीए 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। वहीं, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी बिहार में अपनी ‘बिहार बदलाव रैली’ के जरिए एनडीए के खिलाफ जनता के बीच एकजुटता का संदेश दे रहे हैं। यह स्थिति एनडीए के नेताओं की चिंता बढ़ा रही है और इसलिए, शिवराज सिंह चौहान को बिहार की राजनीतिक दिशा को संभालने का जिम्मा सौंपा गया है।
शिवराज सिंह चौहान का प्रभाव
शिवराज सिंह चौहान की छवि एक चुनावी रणनीतिकार के रूप में मजबूत है। मध्य प्रदेश में उनकी नेतृत्व क्षमता का परिचय कई बार मिल चुका है, और अब बिहार में भी उनकी उपस्थिति एनडीए के लिए फायदेमंद हो सकती है। उनके अनुभव और राजनीतिक दृष्टिकोण से भाजपा को बिहार में मजबूती मिल सकती है, खासकर तब जब पार्टी को एक ऐसे नेता की जरूरत है जो राज्य के राजनीतिक परिवेश को समझे और उसे अपनी रणनीतियों के तहत इस्तेमाल कर सके। हालांकि झारखंड के विधानसभा चुनाव में अपेक्षित रूप से सफल नहीं हो सके थे।