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UP Primary School Merger : यूपी में प्राथमिक स्कूल विलय विवाद फिर अदालत की चौखट पर, डबल बेंच में सुनवाई मंगलवार को

UP School Merger Case : याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि छोटे-छोटे गांवों के स्कूलों को बंद कर पास के स्कूलों में मिलाने से बच्चों को लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी।

by Anurag Ranjan
ttar Pradesh High Court to hear petition against primary school merger on July 3, 2025
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों के विलय को लेकर कानूनी लड़ाई एक बार फिर जोर पकड़ चुकी है। इस मुद्दे पर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ की डबल बेंच में मंगलवार, 22 जुलाई 2025 को सुनवाई होने जा रही है। यह मामला मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध है।

एकल पीठ के फैसले को दी गई चुनौती

इससे पहले 7 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्राथमिक स्कूलों के विलय को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की बेंच ने कहा था कि राज्य सरकार का यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से लिया गया है।
इस फैसले के खिलाफ अब विशेष अपीलें दाखिल की गई हैं, जिनकी सुनवाई डबल बेंच में होनी है।

दो विशेष अपीलें दायर

अपीलकर्ताओं के अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने बताया कि दो अलग-अलग विशेष अपीलें दाखिल की गई हैं।

पहली अपील 5 बच्चों की ओर से, दूसरी अपील 17 बच्चों के अभिभावकों की ओर से

दोनों अपीलों में 7 जुलाई के फैसले को रद्द करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 16 जून 2024 को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में स्कूलों का विलय छात्र संख्या के आधार पर किया गया है, जो बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (Right to Education Act) का उल्लंघन है।

क्या है याचिकाकर्ताओं की आपत्ति?

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि छोटे-छोटे गांवों के स्कूलों को बंद कर पास के स्कूलों में मिलाने से बच्चों को लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी। इससे गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों की शिक्षा बाधित होगी। खासकर सीतापुर के 51 बच्चों की ओर से याचिका में कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार केवल स्कूल में दाखिले तक सीमित नहीं, बल्कि उसकी सुलभता भी उतनी ही जरूरी है।

राज्य सरकार ने क्या कहा?

राज्य सरकार की ओर से जवाब में कहा गया है कि स्कूलों का विलय शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए किया गया है। सरकार के मुताबिक, ऐसे 18 स्कूल हैं जहां एक भी छात्र नहीं है। कई स्कूलों में नामांकन बेहद कम है, जिसके चलते शिक्षकों और संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा। इसलिए पास के स्कूलों में विलय कर बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने की योजना है।

क्या है अगला कदम?

आज होने वाली सुनवाई में हाईकोर्ट की डबल बेंच तय करेगी कि एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखा जाए या मामले की दोबारा समीक्षा की जाए। यह सुनवाई प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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