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Uttar Pradesh Prison Art in Mahakumbh 2025 : कैद से ‘रिहा’ हो रहा बंदियों का हुनर, दुनिया के लिए मॉडल बना यूपी

- जेल की सलाखों के पीछे गढ़ी कला को मिल रहा वैश्विक मंच। - बंदियों के हुनर को देख दंग हैं दुनिया भर से आ रहे श्रद्धालु। - प्रदर्शनी में अब तक करीब सात लाख की हो चुकी है बिक्री। - अब सुधार और आत्मनिर्भरता के केंद्र बन चुकी हैं उत्तर प्रदेश की जेलें।

by Anand Mishra
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महाकुंभ नगर (प्रयागराज) : उत्तर प्रदेश के महाकुम्भ मेला क्षेत्र में इस बार एक नया और अनोखा दृश्य देखने को मिला, जहां प्रदेश की जेलों के बंदियों द्वारा बनाई गई कला और उत्पादों ने न केवल देशवासियों, बल्कि विदेशों से आए पर्यटकों का भी ध्यान आकर्षित किया। यह दिखाता है कि उत्तर प्रदेश अब सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में एक आदर्श मॉडल के रूप में सामने आ रहा है। प्रदेश की जेलों में अब केवल अपराधियों को सजा नहीं दी जा रही, बल्कि उन्हें सुधार और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।

कैदियों के हुनर ने मचाई धूम

इस बार महाकुम्भ मेला क्षेत्र के त्रिवेणी रोड पर स्थित सेक्टर-01, परेड क्षेत्र में एक प्रदर्शनी व विक्रय केंद्र स्थापित किया गया, जहां उत्तर प्रदेश की 27 जेलों के बंदियों द्वारा बनाए गए 150 उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। ये उत्पाद महाकुम्भ मेले में आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। जेल में बंद बंदियों के हाथों से निकली कला और उत्पादों को एक वैश्विक मंच मिला है। इस प्रदर्शनी में खाने के सामान से लेकर सजावटी आइटम्स, पेंटिंग्स, कालीन, पोशाकें और अन्य उत्पाद रखे गए थे, जिनमें हर कोई रुचि ले रहा था।

गाजियाबाद, आगरा, मथुरा, मिर्जापुर और अन्य जेलों के उत्पाद

प्रदर्शनी में गाजियाबाद जेल के बंदियों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स, आगरा जेल के बनाए जूते, मथुरा जेल द्वारा बनाए गए भगवान के पोशाकें और मिर्जापुर-भदोही जेल के कालीन खास आकर्षण का केंद्र बने। इसके अलावा, कई अन्य जेलों द्वारा निर्मित उत्पाद भी बिक्री के लिए रखे गए थे। मैनपुरी जेल के सजावटी सामान, अलीगढ़ का शंख, वाराणसी का शिवलिंग, गाजियाबाद की मोमबत्तियां, कन्नौज की धूपबत्तियां और प्रतापगढ़ के आंवले का अचार भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हुए।

प्रदर्शनी में बिकने वाले उत्पादों की कीमत भी बहुत कम है। यहां 300 रुपये में जूते से लेकर 100 रुपये में रसोई का सामान उपलब्ध था। इसके अलावा, घर में रोजाना उपयोग होने वाले 2 रुपये के मिट्टी के दीये से लेकर 12 हजार रुपये तक के हस्तशिल्प उत्पाद भी बिक रहे थे। गाजियाबाद जेल में बनी संगम तट की पेंटिंग की खूबसूरती ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

7 लाख रुपये की बिक्री, कैदियों के कल्याण कोष में योगदान

महाकुम्भ मेला में 11 जनवरी से अब तक प्रदर्शनी में लगभग सात लाख रुपये की बिक्री हो चुकी है। यह राशि सीधे उन बंदियों के कल्याण कोष में जमा कराई जाएगी, जिन्होंने इन उत्पादों का निर्माण किया है। इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित उत्पादों में नैनी और बरेली सेंट्रल जेल का फर्नीचर, झांसी का टेडी बियर, मिर्जापुर-भदोही का कालीन, मैनपुरी का सजावटी सामान, अलीगढ़ का शंख और वाराणसी का शिवलिंग भी आकर्षण का केंद्र बने। इन उत्पादों की सस्ती कीमत और उच्च गुणवत्ता ने इसे खरीदने के लिए लोगों को आकर्षित किया।

पर्यावरण संरक्षण व स्वच्छता को बढ़ावा देने वाले इको-फ्रेंडली उत्पाद

फतेहपुर जिला जेल के बंदियों द्वारा बनाए गए रंग-बिरंगे इको फ्रेंडली कॉटन और जीन्स के थैले भी प्रदर्शनी में शामिल किए गए थे। इन थैलों में “ऊं. सर्वसिद्धप्रद: कुम्भ महाकुम्भ प्रयागराज 2025” प्रिंट कराया गया था, जो स्वच्छता भारत अभियान को बढ़ावा देने के साथ-साथ जल और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी योगदान दे रहे थे। ये थैले महाकुम्भ प्रदर्शनी में 10 रुपये की कीमत में बिक रहे थे, जबकि जीन्स के थैले 100 रुपये में बिक रहे थे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देश के अनुसार, राज्य की जेलों को अपराधियों के सुधार का स्थान बनाना है, जहां उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रशिक्षित किया जाए। उनका मानना है कि हर व्यक्ति में सुधार की क्षमता होती है और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए जेलों में बंद व्यक्तियों को नए अवसर दिए जाने चाहिए। उनका यह भी मानना है कि जेलों में बंद व्यक्तियों के खिलाफ समाज में नकारात्मक भावना रहती है, और इस भावना को बदलने की आवश्यकता है।

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