देहरादून. उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को समान नागरिक संहिता (Uttrakhand UCC) विधेयक यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल (यूसीसी) पेश किया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बिल को सदन में प्रस्तुत किया।ल. इस दौरान सदन में विधायकों ने ‘जय श्रीराम’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाए. यह कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा.
गोवा में पुर्तगाली शासन के समय से ही यूसीसी लागू है. यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, जमीन, संपत्ति, गुजारा भत्ता और उत्तराधिकार के समान कानून लागू होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों.
किस पर होगा लागू (Uttrakhand UCC)
सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के हरिद्वार से विधायक मदन कौशिक ने तमाम बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि पिछले एक साल से उत्तराखंड में निवास कर रहे व्यक्ति पर यूसीसी कानून लागू होगा. इसके अलावा उत्तराखंड मूल का निवासी देश के किसी राज्य में रह कर नौकरी कर रहा हो या व्यापार कर रहा वह भी इस कानून के अंतर्गत आएगा.
बाकी विधायक कल देंगे अपनी राय
यूसीसी बिल के विधानसभा में पेश हो जाने के बाद सदन के भीतर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चर्चा का दौर जारी है. सत्ता पक्ष के तमाम विधायकों और मंत्रियों ने यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर अपना पक्ष रखा. वहीं विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और सुमित हिरदेश समेत कुछ विधायकों ने अपना पक्ष रखा है. बाकी विधायक बुधवार को सदन में अपनी राय देंगे.
इन बिंदुओं से समझिए इस कानून को
एक पति-पत्नी का नियम सब पर लागू होगा, बहुपत्नी प्रथा खत्म होगी.
सभी धर्मों के लोगों के लिए तलाक का एक ही कानून होगा.
तलाक के बाद भरण-पोषण का नियम एक होगा.
सभी धर्मों के लोगों के लिए गोद लेने के संबंध में एक ही कानून होगा.
संपत्ति बंटवारे में लड़कियों का समान हक सभी धर्मों में लागू होगा.
अन्य धर्म या जाति में शादी करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा.
सभी धर्मों में शादी के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष अनिवार्य होगी.
लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण जरूरी होगा.
उत्तराखंड की जनजातियां इस कानून से बाहर होंगी.
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