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Vat Savitri Puja 2024: सुहागिन महिलाओं ने की बट सावित्री की पूजा, मांगा अखंड सौभाग्य

by Rakesh Pandey
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धर्म कर्म डेस्क/Vat Savitri Puja 2024: वट सावित्री की पूजा को लेकर गुरुवार को सुबह से ही बट व बरगद के पेड़ के समीप महिलाओं की भीड़ लगी रही। बट सावित्री व्रत की पूजा बरगद के वृक्ष के नीचे ही की जाती है। इस दौरान सुहागिन महिलाओं ने एक और जहां बट सावित्री कथा का श्रवण किया वहीं बरगद के पेड़ से धागे का घेरा बांधकर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना की। परिवार के सुख व समृद्धि की मांगी।

Vat Savitri Puja 2024: सावित्री व सत्यवान के प्रसंग से जुड़ी है कथा

बट सावित्री व्रत का मुख्य उद्देश्य पति की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि के लिए प्रार्थना करना है। वही यह व्रत सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है, जिसमें सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस प्राप्त किया था। वट सावित्री व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय समाज और संस्कृति में महिलाओं की भूमिका को भी दर्शाता है।

Vat Savitri Puja 2024: सूत बांधने का है महत्व

बट सावित्री पर महिलाओं को बरगद के तने के इर्द-गिर्द घूमकर डोर (सूत) बांधते हुए देखा जाता है। दरअसल, इसका एक खास महत्व है। बट सावित्री व्रत पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती और परिवार की खुशहाली का प्रतीक भी माना जाता है। यह विवाहित महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है, जो उनके पति के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए किया जाता है। इस व्रत का पालन करने से न केवल पति-पत्नी के रिश्ते में मजबूती आती है, बल्कि परिवार में सुख और समृद्धि भी बनी रहती है।

Vat Savitri Puja 2024: वट सावित्री व्रत करने का शुभ मुहूर्त

उदया तिथि के अनुसार इस वर्ष वट सावित्री व्रत 6 जून, दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर के 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इस दौरान वट वृक्ष की पूजा अर्चना की जा सकती है।

Vat Savitri Puja 2024: व्रत करने की विधि

इस दिन प्रातःकाल में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। उसके बाद व्रत का संकल्प लेकर व्रत का आरंभ करें। फिर पूजा की सामग्री जैसे कि लाल कपड़ा, रोली, मौली, चावल, फूल, मिठाई,और विशेष रूप से वट वृक्ष के पूजन के लिए धागा तैयार करें। उसके बाद वट वृक्ष के नीचे बैठकर उसकी पूजा करें। इसके बाद वृक्ष के चारों ओर धागा लपेटकर उसकी परिक्रमा करें। मान्यता के अनुसार, वट सावित्री व्रत में पूजा के बाद सावित्री और सत्यवान की कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। पूजा और कथा के बाद व्रत का समापन करना चाहिए।

Vat Savitri Puja 2024: वट वृक्ष में होता है देवताओं का वास

वही पुराणों के अनुसार, वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों देवताओं का वास है। इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। वही वट वृक्ष को ज्ञान, निर्वाण व दीर्घायु का पूरक माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जो सुहागन स्त्री वट सावित्री व्रत करती है और बरगद के वृक्ष की पूजा करती है उसे अखंड सौभाग्य का फल मिलता है और उसके सभी कष्ट दूर होते हैं। कहते हैं कि वट वृक्ष में कई रोगों का नाश करने की क्षमता होती है। इसलिए इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है।

 

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