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Vicky Vidya Ka Woh Wala Video Review: घिसी पिटी निकली विक्की-विद्या की सीडी, विजय राज- मल्लिका शेरावत ने लूटी महफिल

फिल्म का फर्स्ट हाफ फिर भी थोड़ा बहुत ठीक है लेकिन सेकेंड हाफ के बाद जो खिचड़ी पकाई जाती है, उसके बाद तो समझ ही नहीं आता है कि क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है।

by Neha Verma
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फिल्मविक्की विद्या का वो वाला वीडियो
डायरेक्टरराज शांडिल्या
कहां देखेंथिएटर्स
प्रमुख स्टारकास्टराजकुमार राव, तृप्ति डिमरी, विजय राज, मल्लिका शेरावत, मुकेश तिवारी, अर्चना पूरन सिंह आदि
फिल्म अवधि152 मिनट्स
रेटिंग्स1.5 स्टार

क्या है कहानी

फिल्म की कहानी विक्की (राजकुमार राव) और विद्या (तृप्ति डिमरी) की है। दोनों कपल हैं, शादी होती है और फिर एक्साइटेड होकर अपनी सुहागरात का वीडियो बनाते हैं। एक दिन घर में चोरी होती है, जिस में सीडी भी चोरी हो जाती है। इसके बाद शुरू होती है सीडी की तलाशी और इस दौरान फिल्म अलग अलग किस्सों-हिस्सों में जाती है। फिल्म आखिर में एक सोशल मैसेज तक पहुंचती है। जहां पर सामने आता है कि कैसे लोगों के सेक्स टेप वायरल होते हैं।

एक्टिंग और डायरेक्शन

बात अगर एक्टिंग की करें तो फिल्म के लीड एक्टर्स राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी ने बिलकुल भी इम्प्रेस नहीं किया है। राजकुमार राव को तो पूरी फिल्म में देखकर ऐसा लग रहा है कि वो ‘स्त्री’ के विक्की से बाहर नहीं निकल पाए हैं। फ़िल्म में सबसे बेहतरीन काम विजय राज और मल्लिका का है, यह कहना भी ग़लत नहीं होगा कि यह राज- तृप्ति नहीं, बल्कि विजय-मल्लिका की फ़िल्म है। विजय ने बेहतरीन कॉमेडी की है और मल्लिका काफ़ी फ्रेश दिख रही हैं। इन दोनों के अलावा अर्चना पूरन सिंह ने भी महफ़िल लूटने का काम किया है। फिल्म के बाक़ी एक्टर्स का काम भी अच्छा है लेकिन फीकी स्क्रिप्ट के आगे सब फीका दिखता है।

क्या है खास और कहां खाई मात

फ़िल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसकी कहानी है, जिसका मूल तो ठीक है लेकिन जैसे जैसे आगे बढ़ती है, इसकी कसावट कम हो जाती है। फ़िल्म में ढेर सारे अच्छे कॉमेडी पंच हैं, लेकिन फ़िल्म वाला वाइब नहीं। टेक्निकली फ़िल्म ठीक है, अधिकतर गानें पुराने ही उठाये गए हैं, जो पहले ही हिट रहे, वही नए गानें ज़ुबान पर नहीं चढ़ते। फ़िल्म का सेकंड हाफ़ खिचड़ी बन जाता है, ऐसा लगता है कि अलग ही फ़िल्म चल रही है।” स्त्री वर्स” का इस्तेमाल बेफ़िज़ूल है और सुनील शेट्टी की मिमिक्री का भी कोई तुक नहीं बनता।

देखें या नहीं

कुल मिलाकर फिल्म का फर्स्ट हाफ फिर भी थोड़ा बहुत ठीक है लेकिन सेकेंड हाफ के बाद जो खिचड़ी पकाई जाती है, उसके बाद तो समझ ही नहीं आता है कि क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है। हम तो सिर्फ इतना ही कहेंगे कि इस फिल्म को थिएटर में देखने के लिए पैसे न खर्च करें और फिर भी बहुत मन हो तो ओटीटी पर इसे देख लीजिएगा।

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