पॉलिटिकल डेस्क : हिमाचल प्रदेश के मंत्री और कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) ने 28 फरवरी को अपने मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा, स्पष्ट बहुमत के बावजूद राज्य में राज्यसभा चुनाव हारने के एक दिन बाद दिया है। विक्रमादित्य सिंह ने सरकार में कांग्रेस विधायकों की आवाज दबाने और उनकी अनदेखी करने का भी आरोप लगाया है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार उनके पिता की मूर्ति के लिए जगह तक नहीं ढूंढ पाई।
कौन हैं विक्रमादित्य सिंह
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में विक्रमादित्य सिंह एक जाना-माना नाम है। उनके पिता वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश की बुशहर रियासत के राजा हैं। राजघराने से ताल्लुक रखने वाले विक्रमादित्य सिंह को राजनीति विरासत में मिली है। उनकी माता प्रतिभा सिंह मंडी से लोकसभा सांसद और कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हैं। विक्रमादित्य की पॉलिटिकल सफर की बात करें, तो वह वर्तमान में शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक हैं।
(Vikramaditya Singh)
वो साल 2017 में पहली बार विधायक चुने गए थे, तब उनकी उम्र महज 28 साल थी। 2022 विधानसभा चुनाव में दूसरी बार विधानसभा पहुंचने के बाद उन्हें कांग्रेस की सरकार में मंत्री बनाया गया था। मौजूदा समय में वो पीडब्ल्यूडी और शहरी विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वो हिमाचल के खेल मंत्री भी रहे हैं, लेकिन 2 महीने पहले हुए मंत्रीमंडल विस्तार के बाद उनसे ये विभाग वापस ले लिया गया था। विधायक बनने से पहले वो हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष थे।
राम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में की थी शिरकत
विक्रमादित्य सिंह ने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से पढ़ाई की है। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से अध्ययन किया है। बता दें विक्रमादित्य सिंह अयोध्या में राम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए थे। इससे पहले बुधवार को भाजपा के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि चुनाव परिणाम सामने आने के बाद सुक्खू सरकार ने शासन करने का नैतिक अधिकार खो दिया। उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात कर सदन में बजट के लिए डिवीजन ऑफ वोट की मांग की है।
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