नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए होने वाले आगामी चुनाव (VP Election) को लेकर संसद में नंबर गेम पूरी तरह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पक्ष में दिखाई दे रहा है। लोकसभा और राज्यसभा में एनडीए की मजबूत स्थिति के चलते विपक्ष की राह कठिन नजर आ रही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि विपक्ष प्रतीकात्मक उम्मीदवार उतारेगा या एकजुट होकर कोई रणनीति बनाएगा?
NDA को मिल रहा है दोनों सदनों में बहुमत का समर्थन
लोकसभा की कुल 543 सीटों में से एक सीट (बशीरहाट) फिलहाल खाली है, जिससे कुल प्रभावी सदस्य संख्या 542 हो जाती है। इसमें भाजपा और सहयोगी दलों को मिलाकर एनडीए के पास 293 सांसदों का समर्थन है, जो बहुमत से काफी अधिक है।
VP Election : राज्यसभा में भी मजबूत स्थिति
राज्यसभा की कुल 245 सीटों में से वर्तमान में 5 सीटें खाली हैं, जिससे प्रभावी संख्या 240 रह जाती है। इनमें एनडीए के पास 129 सांसदों का समर्थन है। इसके अलावा, मनोनीत सदस्य भी अक्सर सत्ताधारी दल के पक्ष में मतदान करते हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए जरूरी नंबर क्या है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। इस बार की प्रभावी संख्या 786 है, जिसमें जीत के लिए 394 वोट चाहिए।
एनडीए के पास इस समय 422 सांसदों का समर्थन है, यानी उसकी जीत लगभग तय मानी जा रही है, यदि सभी सदस्य मतदान करते हैं।
VP Election : संविधान के अनुच्छेद क्या कहते हैं?
अनुच्छेद 68 : उपराष्ट्रपति पद रिक्त होने पर चुनाव जल्द से जल्द कराना अनिवार्य होता है।
अनुच्छेद 66(1): यह चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के जरिए होता है और इसमें सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली अपनाई जाती है। वोटिंग प्रक्रिया गुप्त बैलेट से होती है।
क्या है सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली?
इस प्रणाली (VP Election) में मतदाता उम्मीदवारों को प्राथमिकता क्रम में वोट देता है – यानी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद के रूप में। यदि कोई उम्मीदवार 50% से अधिक प्रथम पसंद वोट पा जाता है, तो वह जीत जाता है।
अगर ऐसा नहीं होता, तो सबसे कम वोट पाने वाला उम्मीदवार एलिमिनेट हो जाता है और उसके वोट दूसरी पसंद के अनुसार अगले उम्मीदवार को ट्रांसफर किए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार 50%+1 वोट न पा ले।