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झारखंड आंदोलनकारी सीताराम शास्त्री की पत्नी पंचतत्व में विलीन

by Rakesh Pandey
VS Nalini merged into Panchatattva
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जमशेदपुर : VS Nalini merged into Panchatattva :  झारखंड आंदोलनकारी व पत्रकार स्व. सीताराम शास्त्री की पत्नी वीएस नलिनी सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गईं। उनका अंतिम संस्कार गुरुग्राम (हरियाणा) स्थित शिव शमशान भूमि में हुआ, जहां उनकी पुत्री कांति प्रभा, कुमार दिलीप, अंकुर श्रीवास्तव आदि ने मुखाग्नि दी। इस दौरान कई रिश्तेदार, परिचित व शुभचिंतक उपस्थित थे।
नलिनी ने भी झारखंड आंदोलन के अलावा कई आंदोलन में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष भागीदारी निभाई थी। उन्होंने सीताराम शास्त्री को अलग झारखंड आंदोलन में काफी सहयोग किया था। उनके निधन पर पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो व झारखंड नवनिर्माण अभियान के मदन मोहन सोरेन सहित कई आंदोलनकारियों ने शोक व्यक्त किया है। ज्ञात हो कि सरायकेला-खरसावां जिला स्थित आदित्यपुर निवासी सीताराम शास्त्री का 2012 में निधन हो गया था।

VS Nalini merged into Panchatattva : पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो के राजनीतिक गुरु थे सीताराम शास्त्री

जमशेदपुर के पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने बताया कि सीताराम शास्त्री मेरे राजनीतिक गुरु थे। झारखंड आंदोलन के बौद्धिक नेता सीताराम शास्त्री (तेलंगाना राज्य के मूल निवासी) की पत्नी बीएस नलिनी का रविवार को दिल्ली में देहांत हो गया। मैं प्रार्थना करता हूं कि उस महान बौद्धिक नेता सीताराम शास्त्री की पत्नी बीएस नलिनी की आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करें और उन्हें श्रद्धासुमन के साथ मैं नमन करता हूं।

मैं झारखंड की नई पीढ़ी को जानकारी देना चाहता हूं कि सीताराम शास्त्री कौन थे। सीताराम शास्त्री के पिता टाटा स्टील में नौकरी करते थे और उनका जन्म जमशेदपुर में हुआ था। शिक्षा- दीक्षा भी जमशेदपुर में हुई। वे लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (भारतीय जीवन बीमा निगम) में अफसर बने। उन्होंने 1969 में नौकरी छोड़ दी और चक्रधरपुर से झारखंड आंदोलन की शुरुआत की। वे झारखंड आंदोलन के नेताओं-कार्यकर्ताओं के नेता थे और जीवन भर अपनी लेखनी से झारखंड आंदोलन को एक दिशा प्रदान की थी।

झारखंड आंदोलन को वैचारिक अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए उन्होंने कई पत्र- पत्रिकाएं निकालीं, जिसमें मेहनत, हिरावल, उलगुलान और झारखंड दर्शन के नाम उल्लेखनीय हैं। उन्होंने “आदिवासियों के राष्ट्र की समस्या” नामक पुस्तक लिखी। झारखंड क्षेत्र के अलावा पूरे देश के बुद्धिजीवी वर्ग में उनका काफी सम्मान था। वे शिबू सोरेन, विनोद बिहारी महतो, एनई होरो, डॉ. रामदयाल मुंडा, डॉ. बीपी केसरी, डॉ. वीर भारत तलवार के भी काफी नजदीक रहे।

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