नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को एक सप्ताह के भीतर अपना पक्ष दर्ज करने का निर्देश दिया।
असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, जो इस अधिनियम के कट्टर आलोचक हैं, ने कोर्ट की टिप्पणियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “हम इस अधिनियम को असंवैधानिक मानते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि ‘वक्फ बाय यूज़र’ को हटाया नहीं जा सकता और वक्फ काउंसिल का पुनर्गठन अगली सुनवाई तक नहीं होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में इस अधिनियम का विरोध किया था और संसद में बहस के दौरान भी संशोधनों के खिलाफ अपनी रिपोर्ट दी थी।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक ‘वक्फ बाय डीड’ और ‘वक्फ बाय यूज़र’ की श्रेणी में आने वाली संपत्तियों को डीनोटिफाई नहीं किया जाएगा।
वक्फ बाय यूज़र क्या है?
‘वक्फ बाय यूज़र’ वह प्रक्रिया है, जिसके तहत किसी संपत्ति को धार्मिक या परोपकारी उपयोग के लिए लंबे समय तक उपयोग में लाया गया हो, तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में मान्यता दी जाती है, भले ही उसके लिए कोई लिखित वक्फनामा न हो।
सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणियां
• वक्फ काउंसिल में नियुक्तियों पर रोक: कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के इस आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया कि अगली सुनवाई तक केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्डों में किसी भी तरह की नियुक्ति नहीं की जाएगी।
• वक्फ संपत्तियों की डीनोटिफिकेशन पर रोक: केंद्र ने यह भी आश्वासन दिया कि ‘वक्फ बाय डीड’ और ‘वक्फ बाय यूज़र’ के तहत आने वाली संपत्तियों को फिलहाल डीनोटिफाई नहीं किया जाएगा।
• गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति नहीं होगी: केंद्र सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि वर्तमान में केंद्रीय या राज्य वक्फ बोर्डों में किसी गैर-मुस्लिम व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की जाएगी।
विवादास्पद वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025
यह अधिनियम हाल ही में संसद में पारित हुआ है और 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद 8 अप्रैल से लागू हो गया है। इसके अंतर्गत वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और निगरानी से जुड़ी कई नई धाराएं जोड़ी गई हैं, जिन्हें विपक्षी दल अल्पसंख्यक अधिकारों के खिलाफ बता रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा वक्फ अधिनियम 2025 को लेकर की गई टिप्पणियों और निर्देशों ने इस मामले को गंभीर संवैधानिक बहस का विषय बना दिया है। अगली सुनवाई तक केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करना है और वक्फ से जुड़ी संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर कोर्ट की निगरानी जारी रहेगी।